बता दें कि बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत को शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक कूटनीतिक अनुरोध भेजा है। हालांकि, भारत सरकार ने अब तक इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है।
तौहीद ने कहा कि हसीना के सार्वजनिक बयानों से बांग्लादेश के लोगों में रोष है और वे तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग हसीना के लंबे कार्यकाल के दौरान किए गए कामों से अभी भी नाराज हैं।
बांग्लादेश को एक और करारा झटका देते हुए डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 29 मिलियन के फंड को भी रद्द कर दिया है। अब तक यह फंड बांग्लादेश को दिया जाता था। इस फंड को खत्म करने का फैसला एलन मस्क के नेतृत्व वाले DOGE ने लिया है। इस फंडिंग को लेकर काफी विवाद भी हो रहा था।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने बताया कि भारत और बांग्लादेश के बीच हुए प्रत्यर्पण समझौते के तहत हसीना को वापस लाने के लिए दस्तावेज भेजने की तैयारी चल रही है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि सुरक्षा बलों ने शेख हसीना की सरकार का समर्थन किया और प्रदर्शनों को दबाने के लिए हिंसक उपायों का इस्तेमाल किया। इसमें महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और बच्चों के खिलाफ अत्याचार भी शामिल थे।
बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और भारत आ गई थीं। तब से वह भारत में रह रही हैं।
अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने ऑपरेशन डेविल हंट का आदेश दिया। उन्होंने सेना को भी बुलाया, क्योंकि गाजीपुर में छात्र संगठन का विरोध प्रदर्शन चल रहा था।
प्रदर्शन और हिंसा की आंच 24 से अधिक जिलों में सुलग रही है। तीन दिन के भीतर यहां प्रदर्शनकारियों ने देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्ररहमान के भित्ति चित्रों को नष्ट कर दिया।
भारत ने कहा कि सरकार पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों के लिए प्रयास करेगी और हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश भी माहौल को खराब किए बिना इसी तरह का प्रयास करेगा।
बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान के आवास पर तोड़फोड़ और आगजनी मामले में भारत का बयान आया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस बर्बर घटना की कड़ी से कड़ी निंदा की जानी चाहिए।