भारत के पास पहले से पाक हवाई सीमा पाबंदी की काट, पर चिंता की एक बड़ी बात; विमानन मंत्री ने क्या कहा
भारत के कठोर ऐक्शन के जवाब में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने भारतीय विमानों के लिए पाकिस्तानी हवाई सीमा में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा 2019 में भी पाकिस्तान कर चुका है। पर तब और अब में एक अंतर है।

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेते हुए सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया था। इसके अलावा अन्य कई कठोर कदम भी उठाए गए थे। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने अपनी हवाई सीमा पर भारतीय विमानों के उड़ान पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस बैन की काट की दिशा में समाधान खोजने के लिए भारत सरकार ने विमानन कंपनियों से बातचीत शुरू कर दी है। केंद्रीय विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं के अलावा व्यावसायिक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए चर्चा की जा रही है।
पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने का मतलब अंतरराष्ट्रीय यात्रा में व्यवधान है। इसकी वजह से खासकर उत्तर भारत से यूरोप, कनाडा और अमेरिका जाने वाली सभी उड़ानों के उड़ान समय में कम से कम 90 मिनट का इजाफा होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एयरलाइनों के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने पर विचार कर रही है, जो न केवल मूल उड़ान समय को बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि हवाई किराए को बनाए रखने में भी मदद करेगा?
क्या हैं वैकल्पिक मार्ग?
इस पर विमानन मंत्री ने कहा, "तकनीकी रूप से कहें तो वैकल्पिक मार्ग पहले से ही हैं। इसके तहत विमान उत्तर की ओर जा सकते हैं और एक मार्ग अपना सकते हैं, जो आमतौर पर चीन सभी यूरोपीय देश और अमेरिका जाने के लिए इस्तेमाल करता है लेकिन उस मार्ग को अपनाने की चुनौती यह है कि यह एक उच्च ऊंचाई वाला मार्ग है। इसके लिए सभी विमानों को हिमालय को पार करते जाना होगा, तभी उस क्षेत्र में प्रवेश कर सकेंगे। ऐसे में विमान, पायलट और चालक दल की तकनीकी क्षमता एक अहम मुद्दा है।"
मंत्री ने कहा, "विमानन में आप चाहें कुछ भी फैसला करें लेकिन आप सुरक्षा को कभी नजरअंदाज नहीं कर सकते। भले ही इसमें थोड़ा अधिक समय लगे, आपको एक सुरक्षित मार्ग खोजना होगा। इसलिए, हम अभी भी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।" नायडू ने कहा कि सरकार स्थिति का आंकलन कर रही है। नायडू ने कहा, "हम पहले ही एयरलाइनों के साथ बैठ चुके हैं, उनकी प्रतिक्रिया ले चुके हैं और हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लिया गया कोई भी निर्णय यात्रियों पर नकारात्मक प्रभाव न डाले या सुरक्षा मानकों से समझौता न हो सके।"
2019 से मिलती-जुलती स्थिति, पर एक बड़ा अंतर?
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति 2019 में पाकिस्तान द्वारा हवाई क्षेत्र बंद करने से मिलती जुलती है, जिसने सभी भारतीय और विदेशी एयरलाइनों को बुरी तरह प्रभावित किया था। हालांकि, इस बार हवाई क्षेत्र विदेशी वाहकों के लिए खुला है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार एयरलाइनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर भी विचार कर रही है, तो नायडू ने कहा, "हालांकि एयरलाइनों के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता या व्यवहार्यता अंतर निधि के लिए वर्तमान में कोई योजना नहीं है, लेकिन मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय यात्रा मार्गों पर संभावित दीर्घकालिक प्रभावों का बारीकी से विश्लेषण कर रहा है।" उन्होंने कहा, “पहले यात्रियों की भलाई को देखते हुए समाधान निकाला जाए।”
नायडू ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी विमानों के खिलाफ संभावित प्रतिबंधों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। नायडू ने कहा, "इस तरह की चर्चा उच्च कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर होनी चाहिए।" पाकिस्तानी बैन के कारण हवाई किराए में इजाफे के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “यदि किराए पर बड़े पैमाने पर असर पड़ता है, तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे।” उन्होंने बताया कि भू-राजनीतिक मुद्दों के अलावा, सरकार रनवे के रखरखाव के कारण दिल्ली हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ जैसे मुद्दों से भी निपट रही है, जिसमें सर्दियों के मौसम में कोहरे से संबंधित व्यवधानों को संभालने के लिए उन्नत CAT-III सिस्टम लगाना और रनवे लाइटिंग सिस्टम लगाना शामिल है। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य मई के पहले सप्ताह तक काम के मौजूदा चरण को पूरा करना है।"