Hindi Newsदेश न्यूज़BRICS summit in Russia 34 countries applied for membership India alert over Chinese game

पाक, तुर्की समेत 34 देशों की BRICS सदस्यता पर नई रार, चीन के प्लान से भारत हुआ खबरदार

ब्रिक्स में पहले ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे, लेकिन जनवरी 2024 में इस समूह का विस्तार हुआ। अब मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भी इस समूह में शामिल हो गए हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 14 Oct 2024 03:51 PM
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रूस के काजान में इसी महीने 22 से 24 अक्तूबर के बीच ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। उससे पहले ब्रिक्स की सदस्यता लेने की होड़ सी मच गई है। पाकिस्तान, तुर्की, म्यांमार, सीरिया, फिलिस्तीन समेत कुल 34 देशों ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन दिया है। बड़ी बात यह है कि हिंसा प्रभावित सीरिया, म्यांमार और फिलिस्तीन ने भी आवेदन दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि आगामी शिखर सम्मेलन में 10 नए सदस्यों और 10 पार्टनर को इस संगठन में शामिल किया जा सकता है।

बता दें कि भारत,ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका इसके संस्थापक सदस्य देश हैं। जनवरी 2024 में इस समूह का विस्तार हुआ था। अब इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भी शामिल हैं। न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक काजान में होने वाली बैठक में आम सहमति बनने के बाद ही नए सदस्‍यों का ऐलान किया जाएगा। कहा जा रहा है कि भारत ब्रिक्स में नए सदस्यों को शामिल करने का फिलहाल पक्षधर नहीं है, जबकि चीन क्षेत्रीय दबदबा मजबूत करने और अपने एजेंडे को साधने के लिए ब्रिक्स का विस्तार करना चाहता है। चीन इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए रूस को अपने साथ ला सकता है।

किन-किन देशों ने किया है आवेदन

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन 34 देशों ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन दिया है, उनमें अल्‍जीरिया, अजरबैजान, बहरीन, बांग्‍लादेश, बेलारूस, बोलिव‍िया, क्‍यूबा, चाड, इंडोनेशिया, कजाखस्‍तान, कुवैत, पाकिस्‍तान, कुवैत, मलेशिया, लाओस, म्‍यांमार, मोरक्‍को, नाइजीरिया, सेनेगल, दक्षिण सूडान, श्रीलंका, फिलिस्‍तीन, सीरिया, थाइलैंड, तुर्की, यूगांडा, वेनेजुएला, वियतनाम और जिंबाब्‍वे शामिल हैं। इस लिस्ट में कई ऐसे देश हैं जो चीन के करीबी हैं और उन पर चीन का बहुत ज्यादा प्रभाव है। ये देश चीन के साथ मिलकर अमेरिकी नेतृत्व वाले गठजोड़ और देशों का विरोध करते हैं।

अपने फायदे के लिए विस्तार चाहता है चीन

विश्लेषकों का मानना है कि चीन ब्रिक्स का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना चाहता है। इसी कड़ी में श्रीलंका और बांगलादेश का भी नाम जुड़ा है, जो भारत के पड़ोसी देश हैं लेकिन चीन की तरफ झुकाव रखते हैं। चीन चाहता है कि जी-7 के खिलाफ ब्रिक्स को खड़ा किया जाय। वह रूस को आगे कर अपनी चाल चल रहा है। इस वक्त रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में फंसा हुआ है और पश्चिमी देशों के साथ लोहा ले रहा है, जबकि चीन उसकी मदद कर रहा है।

भारत नहीं चाहता ब्रिक्स का विस्तार

भारत और ब्राजील को छोड़कर ब्रिक्स के सभी सदस्य देश चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा हैं। भले ही ब्राजील आधिकारिक तौर पर बीआरआई का हिस्सा नहीं है, लेकिन चीन उसे लुभाने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वह ब्राजील से निर्यात होने वाली चीजों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा खरीदता है। ऐसे में भारत का तर्क है कि अभी हाल ही में ब्रिक्स का विस्तार हुआ है, इसलिए अभी रुककर इसके विस्तार पर विचार किया जाना चाहिए। काजान में होने वाले शिखर सम्मेलन में ईरान और तुर्की के भी राष्ट्रपति शामिल होने वाले हैं। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जाने वाले हैं। तीन महीने के अंदर उनकी यह दूसरी रूस यात्रा होगी। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भी इसमें शामिल होने की संभावना है।

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दरअसल, ब्रिक्स एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 2006 में की गई थी। रूस ने 01 जनवरी, 2024 को ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली। इस वर्ष की शुरुआत रूस, ब्राजील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के अलावा अब इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब शामिल हो चुके हैं। रूस की ब्रिक्स अध्यक्षता निष्पक्ष वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करने पर केंद्रित है। अपनी अध्यक्षता के हिस्से के रूप में रूस 200 से अधिक राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

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