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चीनी सेना ने ताइवान को चारों ओर से घेरा, फाइटर जेट और नेवी शिप तैनात; क्या मंसूबा

  • ताइवान ने चीन की धमकियों के बीच ही बीते गुरुवार को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाया। चीन स्वशासित द्वीपीय गणराज्य को अपना क्षेत्र बताकर उस पर दावा करता रहा है, जबकि ताइवान इससे सहमत नहीं है।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानMon, 14 Oct 2024 09:57 AM
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चीनी सेना ने ताइवान को चारों से घेर लिया है। मिलिट्री ड्रिल के तहत विमानों और जहाजों की तैनाती की गई है। बीजिंग की ओर साफ तौर पर कहा गया कि इस अभ्यास का मकसद अलगाववादी ताकतों को कड़ी चेतावनी देना है। मालूम हो कि ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए चीन बल प्रयोग से इनकार नहीं करता है। सोमवार की मिलिट्री ड्रिल को पिछले 2 बरसों में बड़े पैमाने पर युद्ध अभ्यास का चौथा प्रयास बताया जा रहा है। ताइवान के मौजूदा राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने इसी साल मई में पदभार संभाला था। वे ताइवान की संप्रभुता की रक्षा में अपने पूर्ववर्ती त्साई इंग-वेन से अधिक मुखर हैं। जानकार बताते हैं कि चीन इससे काफी नाराज है, जो उन्हें अलगाववादी कहता है।

ताइवान ने भी चीन की इस ताजा मिलिट्री ड्रिल की पुष्टि की है। ताइपे की ओर से इन सैन्य अभ्यासों को तर्कहीन और उत्तेजक करार दिया गया। साथ ही, ताइवान ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर अपने जवानों की तैनाती सीमा पर बढ़ा दी है। ताइवान के उत्तर में सिंचू वायु सेना अड्डे के पास एएफपी के पत्रकारों ने चीनी मिलिट्री ड्रिल को लेकर अधिक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सोमवार को 6 लड़ाकू विमानों को उड़ान भरते देखा गया है। नेवी शिप तैनात किए जाने की बात भी सामने आई है। बीजिंग के इस ताजा ऐक्शन से तनाव और ज्यादा बढ़ने की आशंका है।

'ताइवान चीनी क्षेत्र का अविभाज्य हिस्सा'

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बीते दिनों ताइवान को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के बयान चीन के एकीकरण को नहीं रोक पाएंगे। निंग ने कहा कि ताइवान की संप्रभुता पर कोई कब्जा या अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। दुनिया में एक ही चीन है। ताइवान चीनी क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है। पीपुल्स रिपब्लिक की सरकार चीन की एकमात्र कानूनी सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या बोलते हैं या क्या करते हैं। लाई चिंग-ते प्राधिकरण इस तथ्य को नहीं बदल सकते हैं कि ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारे एक ही चीन के हैं।

कुछ ऐसा है ताइवान का इतिहास

ताइवान ने चीन की धमकियों के बीच ही बीते गुरुवार को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाया। चीन स्वशासित द्वीपीय गणराज्य को अपना क्षेत्र बताकर उस पर दावा करता रहा है। यह उत्सव चीन गणराज्य की स्थापना का प्रतीक है, जिसने 1911 में छिंग राजवंश को उखाड़ फेंका था। 1949 में गृह युद्ध के बाद माओत्से तुंग के कम्युनिस्टों ने मुख्य भूमि पर कब्जा जमा लिया था। 1980 और 1990 के दशक में पूर्ण लोकतंत्र को अपनाने तक ताइवान में मार्शल लॉ लागू था, लेकिन वहां चीन से लाया गया मूल संविधान और चीनी गणराज्य का ध्वज भी कायम था। राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के 8 साल के शासन को जारी रखते हुए पदभार संभाला। यह पार्टी ताइवान को चीन का हिस्सा मानने से इनकार करती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)

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