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क्या था काका कालेलकर कमीशन, जिसकी रिपोर्ट के बहाने शाह ने खोली कांग्रेस के आरक्षण प्रेम की पोल

केंद्रीय गृह मंत्री ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी ओबीसी के सच्चे हिमायती हैं क्योंकि उन्होंने ही ओबीसी आयोग को मान्यता दी। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने ही नीट-यूजी में आरक्षण दिया।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 17 Dec 2024 09:52 PM
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में संविधान के 75 वर्षों के गौरवशाली इतिहास विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर खुलकर हमला बोला और उनके ओबीसी आरक्षण के हिमायती होने की पोल खोली। शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आजकल कुछ लोग आरक्षण-आरक्षण चिल्लाते रहते हैं लेकिन आरक्षण पर कांग्रेस पार्टी का रुख ठीक नहीं रहा है। उन्होंने सवालिया लहजे में रहा कि आर7ण पर कांग्रेस का रुख क्या रहा है ये किसी से छुपी नहीं है।

उन्होंने कहा कि 1955 में जब ओबीसी आरक्षण के लिए काका कालेलकर कमेटी बनी थी, तब इसकी रिपोर्ट संसद को सौंपी गई थी लेकिन इसकी रिपोर्ट कहां है? शाह ने कहा, "हमने संसद के दोनों सदनों में ढूंढा, काका कालेलकर कमेटी की रिपोर्ट कहीं नहीं मिली।" इस पर विपक्ष की ओर से टोका गया कि अर्धसत्य मत बोलिए। विपक्षी सदस्य शाह के इस बयान पर हल्ला करने लगे। तभी विपक्षी सांसद ने कहा कि रिपोर्ट संसद भवन की लाइब्रेरी में है। इस पर अमित शाह ने कहा कि ये बाबासाहब का संविधान है,इसमें आप कुछ भी छिपा नहीं सकते हो।

शाह ने कहा, "मैं सदन को बताता हूं कि रिपोर्ट का क्या हुआ। जब कभी भी कोई भी रिपोर्ट संसद में आती है तो उसे कैबिनेट में रखने के बाद सदन के पटल पर रखा जाता है लेकिन इन्होंने उस रिपोर्ट को लाइब्रेरी में रख दिया।" शाह ने कहा कि अगर कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने इस रिपोर्ट पर ध्यान दिया होता और उसकी सिफारिशें मान ली होतीं तो मंडल कमीशन का गठन करने की जरूरत नहीं होती। शाह ने यह भी कहा कि मंडल कमीशन की सिफारिशों पर भी अमल तब हुआ, जब कांग्रेस की सरकार चली गई। शाह ने कहा कि जब मंडल कमीशन की सिफारिशें स्वीकार की जा रही थीं, और सदन में उस रिपोर्ट पर चर्चा हो रही थी, तब लोकसभा में विपक्ष के नेता राजीव गांधी ने उसके खिलाफ सबसे लंबा भाषण दिया था और कहा था कि पिछड़ों को आरक्षण देने से योग्य लोगों का अभाव हो जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी ओबीसी के सच्चे हिमायती हैं क्योंकि उन्होंने ही ओबीसी आयोग को मान्यता दी। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने ही नीट-यूजी में आरक्षण दिया। भाजपा नेता ने सवाल दागा कि इन्होंने क्या किया, सिर्फ झूठ बोलना शुरू कर दिया कि आरक्षण बढ़ा देंगे। शाह ने कहा कि ये लोग आरक्षण क्यों बढ़ाना चाहते हैं, ये बात भी बताता हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथी 50 फीसदी से अधिक आरक्षण की वकालत इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश के दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है, जो गैर संवैधानिक है। संविधान सभा की डिबेट पढ़ लीजिए, स्पष्ट किया गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा। शाह ने कहा कि दोनों सदन में जब तक बीजेपी का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे, ये संविधान विरोधी है।

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क्या था काका कालेलकर आयोग

काका कालेलकर आयोग, भारत का पहला पिछड़ा वर्ग आयोग था। इसका गठन 29 जनवरी, 1953 को पंडित नेहरू की सरकार में तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर किया गया था। इसकी अध्यक्षता काका कालेलकर ने की थी। इस आयोग को यह पहचान करने का काम सौंपा गया था कि कौन सा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा है। उसकी सूची बनाना और पिछड़े वर्ग की पहचान कर उसकी समस्याओं की जांच करना और उसके निराकरण के लिए सिफारिशें करना भी था।

आयोग ने दो साल में अपना काम पूरा कर लिया था और 1955 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में 2,399 जातियों और समुदायों की एक सूची तैयार की थी। इस आयोग ने भारत की लगभग 70 फीसदी आबादी को पिछड़ा माना था। इस आयोग ने पिछड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कई उपाय सुझाए थे लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इस आयोग की सिफारिश की सबसे बड़ी खामी यह थी कि रिपोर्ट में सिर्फ हिन्दुओं के पिछड़ेपन का जिक्र किया गया था और अन्य धर्मों को नजरअंदाज कर दिया गया था।

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