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Hindi Newsदेश न्यूज़Amid raging row over Hindenburg Research allegations SC must transfer Adani probe to CBI or SIT Congress demands

इस्तीफा दें SEBI चीफ, अडानी मामले की जांच CBI या SIT को सौंपे सुप्रीम कोर्ट; कांग्रेस की मांग

जयराम रमेश ने अडानी मामले में सेबी के समझौता करने की आशंका जताते हुए यह मांग दोहराई है कि इस मामले की जांच के लिए JPC का गठन होना चाहिए ताकि वह ‘‘मोदानी महा घोटाले’’ की पूरी जांच कर सके क्योंकि यह मामला एक ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’’ और एक ‘नॉन-बायोलॉजिकल कारोबारी’ से जुड़ा हुआ है।

Pramod Praveen भाषा, नई दिल्लीMon, 12 Aug 2024 10:48 AM
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मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधवी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर सोमवार को उनके इस्तीफे की मांग की और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) या विशेष जांच दल (SIT) को सौंप दे। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अडानी मामले में सेबी के समझौता करने की आशंका जताते हुए यह मांग दोहराई है कि इस मामले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन होना चाहिए ताकि वह ‘‘मोदानी महा घोटाले’’ की पूरी जांच कर सके क्योंकि यह मामला एक ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’’ और एक ‘नॉन-बायोलॉजिकल कारोबारी’ से जुड़ा हुआ है।

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में रविवार को कहा था कि उसने अडानी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है। जयराम रमेश ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सेबी ने अति सक्रियता दिखाने कोशिश की है और उसका कहना है कि उसने 100 सम्मन, 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं और 12,000 पृष्ठों वाले 300 दस्तावेजों की जांच की है। रमेश ने दावा किया कि यह बहुत थका देने वाला रहा होगा, लेकिन यह मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने वाली बात है क्योंकि कार्रवाई महत्वपूर्ण है, गतिविधियां नहीं।

उनके मुताबिक, ‘‘14 फरवरी, 2023 को, मैंने सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखकर सेबी से उन करोड़ों भारतीय नागरिकों की ओर से भारत के वित्तीय बाजारों के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया था, जिनका भारत के वित्तीय बाजारों की निष्पक्षता में विश्वास है। मुझे कभी कोई जवाब नहीं मिला।’’

उन्होंने बताया कि 3 मार्च, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दो महीने के भीतर अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोपों की ‘‘तेजी से जांच पूरी करने’’ का निर्देश दिया था। रमेश का कहना था कि इस आदेश के 18 महीने बाद सेबी ने खुलासा किया है कि अडानी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित नियम 19ए का उल्लंघन किया है या नहीं, इस संबंध में महत्वपूर्ण जांच अधूरी है। उनका दावा था, ‘‘तथ्य यह है कि सेबी की अपनी 24 जांच में से दो को बंद करने में असमर्थता के कारण इसके निष्कर्षों के प्रकाशन में एक वर्ष से अधिक की देरी हुई।’’

रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘इस देरी के कारण प्रधानमंत्री अपने करीबी दोस्त की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका बताए बिना आसानी से पूरे आम चुनाव में भाग ले पाए।’’ उन्होंने कहा, अडानी समूह के ‘क्लीन चिट’ मिलने के दावों के बावजूद, सेबी ने कथित तौर पर इन आरोपों के संबंध में अडानी समूह की कई कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि हालिया खुलासे ‘अडानी महा घोटाले’ की जांच में सेबी की ईमानदारी और आचरण पर परेशान करने वाले सवाल उठाते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘‘सेबी के समझौते की आशंका’’ को देखते हुए उच्चतम न्यायालय को इस मामले की जांच को CBI या SIT को स्थानांतरित करना चाहिए। रमेश का कहना था कि कम से कम, सेबी की शुचिता को बहाल करने के लिए सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति की कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ‘विदेशी फंड’ में हिस्सेदारी थी।

सेबी प्रमुख बुच और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है। अडानी समूह ने अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए रविवार को कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।

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