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शपथ के बाद भी दबाव बनाते रहेंगे एकनाथ शिंदे, फिर अमित शाह से मिलने की तैयारी

  • एकनाथ शिंदे आखिरी वक्त में डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करने और शपथ के लिए तैयार हो गए हैं। लेकिन अब भी उन्होंने दबाव बनाने की रणनीति नहीं छोड़ी है। खबर है कि शपथ समारोह के तुरंत बाद वह होम मिनिस्टर शाह से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग में एकनाथ शिंदे मांग कर सकते हैं कि उन्हें ही होम मिनिस्ट्री दी जाए।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईThu, 5 Dec 2024 04:30 PM
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एकनाथ शिंदे आखिरी वक्त में डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करने और शपथ के लिए तैयार हो गए हैं। लेकिन अब भी उन्होंने दबाव बनाने की रणनीति नहीं छोड़ी है। खबर है कि शपथ समारोह के तुरंत बाद वह होम मिनिस्टर अमित शाह से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग में एकनाथ शिंदे मांग कर सकते हैं कि उन्हें ही होम मिनिस्ट्री दी जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर शहरी विकास मंत्रालय के अलावा कोई और ताकतवर मिनिस्ट्री उनके दी जाए। शिवसेना के सूत्रों ने जानकारी दी है कि एकनाथ शिंदे शपथ समारोह के बाद अमित शाह से मुलाकात करेंगे।

महायुति के दलों के बीच अब तक मंत्रियों की संख्या पर भी डील नहीं हुई है। इसके अलावा मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर भी रस्साकशी जारी है। एक तरफ होम मिनिस्ट्री के लिए शिंदे सेना की दावेदारी है तो वहीं वित्त मंत्रालय के लिए अजित पवार की पार्टी जोर-आजमाइश कर रही है। ऐसे में आखिरी वक्त तक खींचतान में सभी जुटे हैं। एकनाथ शिंदे ने अब आखिरी कोशिश के तहत अमित शाह से मुलाकात की तैयारी की है। एकनाथ शिंदे कई बार दोहरा चुके हैं कि अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी जो कहेंगे, उसे वह स्वीकार करेंगे।

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यही नहीं अमित शाह से एक मुलाकात में एकनाथ शिंदे को झटका भी लग चुका है। वह जब दिल्ली आए थे तो अमित शाह से मुलाकात में कम से कम शुरुआती 6 महीने के लिए सीएम बनाने की मांग की थी। इसे अमित शाह ने सिरे से खारिज कर दिया था और सीधा जवाब देते हुए कहा था कि यदि आपको बहुमत मिलता तो क्या आप भाजपा की सीएम बनने देते। इस जवाब से एकनाथ शिंदे चुप रह गए थे।

आखिरी कोशिश करके देखना चाहते हैं एकनाथ शिंदे

फिर भी वह मंत्रालयों के बंटवारे से पहले आखिरी कोशिश कर लेना चाहते हैं। महाराष्ट्र की सरकार के गठन में अमित शाह का अहम रोल रहा है। यही नहीं चुनाव में भी उनकी भूमिका अहम थी। उनके ही करीबी कहे जाने वाले भूपेंद्र यादव इलेक्शन के प्रभारी थे और उनके साथ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भी जिम्मेदारी दी गई थी।

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