महायुति सरकार में नहीं 'ऑल इज वेल'? ये पांच मुद्दे कर रहे खटपट के इशारे
- महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में अंसतोष की खबरों पर विराम लगाते हुए एकनाथ शिंदे ने यह जरूर कहा कि हम एमवीए या इंडिया गठबंधन जैसे नहीं हैं। फिर भी पांच अहम मुद्दे हैं, जो गठबंधन में खटपट बता रहे हैं।
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महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना-एनसीपी (महायुति) गठबंधन को चुनावी जीत मिले सिर्फ तीन महीने हुए हैं, लेकिन अंदरूनी खींचतान की खबरें तेज हो रही हैं। राज्य सरकार द्वारा विधायकों और मंत्रियों की सुरक्षा समीक्षा के बाद कई नेताओं की सुरक्षा घटाई गई या वापस ले ली गई। खासतौर पर एकनाथ शिंदे गुट के कुछ नेताओं की सुरक्षा घटाने से असंतोष बढ़ा है। महायुति में खटपट की खबरों पर विराम लगाते हुए शिंदे ने यह जरूर कहा है कि हम एमवीए या इंडिया गठबंधन जैसे नहीं हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पांच अहम मुद्दे हैं, जो इशारा कर रहे हैं कि महायुति में ऑल इज वेल नहीं है।
नेताओं की सुरक्षा हटी
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और उनके दो उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार को छोड़कर सभी कैबिनेट सदस्यों और राज्य मंत्रियों को हाल ही में उनके "खतरे की समीक्षा" के बाद एस्कॉर्ट वाहनों के साथ "वाई-प्लस" सुरक्षा प्रदान की गई थी। जिसके कारण कुछ नेताओं की सुरक्षा कम कर दी गई। 2022 में जब शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हुए थे, तब उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा दी गई थी। लेकिन नई राजनीतिक स्थिति में कई विधायकों की सुरक्षा को अब घटाया जा रहा है। इसे लेकर महायुति में असहमति सामने आ रही है।
संरक्षण मंत्रियों की नियुक्ति पर टकराव
एक और बड़ा मुद्दा संरक्षण मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर है। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद का वादा किया गया था, लेकिन अब वे अपनी स्थिति से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। फडणवीस ने रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षण मंत्री का पद शिवसेना नेताओं को नहीं दिया, जिससे शिवसेना-बीजेपी के बीच तनाव बढ़ गया। एनसीपी और शिवसेना के बीच भी इस मुद्दे पर असहमति बढ़ी है।
फडणवीस और शिंदे में दूरी
फडणवीस ने कुंभ मेले की समीक्षा बैठक बुलाई, लेकिन शिंदे ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। इसके बजाय, उन्होंने अपनी अलग बैठक आयोजित की, जिससे साफ संकेत मिला कि दोनों नेताओं के बीच दूरी बढ़ रही है। शिंदे के इस कदम को फडणवीस की सत्ता को सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। विपक्ष ने भी गठबंधन के भीतर इस कथित असंतोष को तुरंत नोटिस किया। उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सत्तारूढ़ गठबंधन पर कटाक्ष करते हुए एक पोस्ट लिखा, “महायुति वैलेंटाइन माह मना रही है।”
उद्धव गुट से फडणवीस की नजदीकियां
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेताओं ने पिछले ढाई महीने में फडणवीस से तीन बार मुलाकात की है। आदित्य ठाकरे दो बार, उद्धव ठाकरे एक बार और अन्य वरिष्ठ नेता भी फडणवीस से मिल चुके हैं। दूसरी ओर, शरद पवार ने दिल्ली में एकनाथ शिंदे को सम्मानित किया। सीनियर पवार ने तो शिंदे की तारीफ भी की, जिससे नाराज उद्धव गुट ने इसे एक “विश्वासघाती” को सम्मानित करने जैसा बताया। राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे का मानना है कि कि दोनों गठबंधनों की पार्टियां “दुश्मनों के साथ मेलजोल” बढ़ा रही हैं, खासकर वो भी तब, जब स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं।
भाजपा और मनसे में गठबंधन की अटकलें
हाल ही में फडणवीस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे की मुलाकात के बाद भाजपा-मनसे गठबंधन की चर्चाएं तेज हो गई हैं। एमवीए का मानना है कि महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उधर, इन अटकलों के बीच, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने मीडिया से कहा कि "हमारे बीच कोई मतभेद नहीं हैं, हम विकास के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं।"