किसान ने मंच पर चढ़कर मंत्रीजी को पहना दी प्याज की माला, पुलिस ने दबोचा; गुस्से में क्यों अन्नदाता
प्याज उत्पादक किसान सरकार से तत्काल मदद की मांग कर रहे हैं। किसानों ने कहा है कि अगर सरकार ने जल्द ही इस मामले में दखल नहीं दी तो उनका आंदोलन तेज होगा।
महाराष्ट्र के मत्स्य पालन मंत्री नीतेश राणे को सोमवार की रात तब विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जब वह नासिक जिले के बगलान तालुका के चिराई गांव में एक धार्मिक समारोह के दौरान मंच पर भाषण दे रहे थे। इसी दौरान एक किसान ने मंच पर चढ़कर मंत्रीजी के गले में प्याज की माला डाल दी और माइक छीनकर कुछ कहने की कोशिश की। हालांकि, वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने तुरंत किसान को नीचे खींच लिया और हिरासत में ले लिया। बाद में किसान को रिहा कर दिया गया।
नितेश राणे बगलान तालुका के चिराई गांव में सोमवार की रात करीब 9 बजे संत निवृत्तिनाथ महाराज के पादुका दर्शन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे। तभी महेंद्र लहू सूर्यवंशी नाम का एक किसान मंच पर पहुंच गया और मंत्री जी को प्याज की माला पहना दी। बताया जा रहा है कि पिछले 10 दिनों में प्याज की कीमतों में 2000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट से नास्क के किसान नाराज हैं। किसानों का तर्क है कि प्याज पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने से कीमतें स्थिर नहीं हुईं और उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं।
प्याज उत्पादक किसान सरकार से तत्काल मदद की मांग कर रहे हैं। किसानों ने कहा है कि अगर सरकार ने जल्द ही इस मामले में दखल नहीं दी तो उनका आंदोलन तेज होगा। इस घटना के बाद पुलिस ने उस किसान के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। यह धारा किसी लोक सेवक को अपना काम करने देने में बाधा पहुंचाने के अपराध से संबंधित है। पुलिस ने कहा कि किसान को कुछ घंटों के लिए हिरासत में रखा गया फिर नोटिस देने के बाद उसे छोड़ दिया गया।
बता दें कि पिछले हफ्ते ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से प्याज के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क हटाने और इसके उत्पादकों को राहत देने का आग्रह किया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में पवार ने नासिक जिले के किसानों से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला, जहां प्याज बड़ी मात्रा में उगाया जाता है। पवार ने अपनी चिट्ठी में लिखा, ‘‘यहां (नासिक में) उगाया जाने वाला प्याज भारत के अन्य राज्यों में उपलब्ध हैं और बड़ी मात्रा में निर्यात भी किया जाता है। आज तक, गर्मियों की उपज वाला प्याज समाप्त हो गया है और ताजा फसल महाराष्ट्र में विभिन्न (कृषि उपज) बाजार समितियों में पहुंच गई है।’’
पवार ने कहा कि प्याज के बड़े स्टॉक के आने के कारण, किसान अब संकट में हैं क्योंकि उन्हें अपनी उपज बहुत कम दर पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, उन्हें अभी तक कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि वे औसतन 2,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर प्याज बेच रहे हैं। पवार ने लिखा कि बेमौसम बारिश और बदलते मौसम ने पहले ही प्याज किसानों की कमाई में भारी कमी ला दी है। पवार ने गोयल को लिखे पत्र में लिखा कि प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटाया जाना चाहिए ताकि किसान राहत की सांस ले सकें और अपने नुकसान की कुछ भरपाई कर सकें। (भाषा इनपुट्स के साथ)