महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही भाजपा का 100 सीटों पर मंथन, 150 पर लड़ने का प्लान
- महाराष्ट्र में 150 सीटों पर भाजपा लड़ेगी। इन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर भी एक राउंड का मंथन हो चुका है। सोमवार को दिल्ली में भाजपा नेताओं की इस संबंध में मीटिंग भी थी। इस दौरान कुल 100 उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की गई। फिलहाल इन सभी पर भाजपा का कब्जा है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का आज ऐलान होने वाला है। चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे शेड्यूल और चुनाव नतीजों के दिन की जानकारी देगा। वहीं भाजपा जैसे बड़े राजनीतिक दल ने पहले से ही तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लगभग 150 सीटों पर भाजपा लड़ेगी। इन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर भी एक राउंड का मंथन हो चुका है। सोमवार को दिल्ली में भाजपा नेताओं की इस संबंध में मीटिंग भी थी। इस बैठक में केंद्रीय नेताओं के साथ ही डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, आशीष शेलार और पंकजा मुंडे जैसे लीडर भी शामिल थे। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अन्य नेता भी थे।
इस मीटिंग में सबसे पहले उन 100 सीटों पर बात हुई, जहां फिलहाल भाजपा के ही विधायक हैं। यह बैठक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह की मौजूदगी में हुई। अब तक मिली जानकारी के अनुसार भाजपा ने मुख्य तौर पर कोंकण क्षेत्र, विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र की सीटों पर लड़ने का फैसला लिया है। वहीं मराठवाड़ा समेत अन्य कुछ इलाकों में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी को सीटें दी जाएंगी। राज्य में कुल 288 सीटें हैं और अब तक तय समझौते के अनुसार करीब 80 सीटें एकनाथ शिंदे गुट को मिलेंगी। इसके अलावा बाकी लगभग 50 सीटें अजित पवार गुट को दी जा सकती हैं।
मुंबई की ज्यादातर सीटों पर भाजपा का ही दावा रहेगा। इसके अलावा ठाणे इलाके की सीटें शिंदे गुट को देने पर सहमति बनी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि 288 में से लगभग 90 फीसदी सीटों पर सहमति बन चुकी है। सोमवार को हुई मीटिंग में उन इलाकों को लेकर भी चर्चा हुई, जहां अच्छी संभावना के बाद भी पार्टी को हार मिली। इन सीटों में बीड़, मुंबई उत्तर मध्य जैसी सीटें शामिल हैं। बीड़ से पंकजा मुंडे और मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से नामी वकील उज्ज्वल निकम को हार का सामना करना पड़ा था।
भाजपा नेताओं का कहना है कि हमने करीब 8 से 9 लोकसभा सीटें इसलिए खो दीं क्योंकि मुस्लिमों का पोलराइजेशन एकतरफा थे। वे उन पार्टियों के साथ गए, जो भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में थे। वहीं भाजपा समर्थक मतदाता बाहर ही नहीं निकले। इससे नतीजा बदल गया। अब विधानसभा चुनाव में भाजपा ऐसी रणनीति बना रही है ताकि इस समस्या की काट की जा सके।