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फडणवीस से कोल्ड वार के बीच एकनाथ शिंदे को एक और झटका, उनकी लाई बड़ी परियोजना खत्म

  • एकनाथ शिंदे का प्रोजेक्ट कहे जाने वाले 1400 करोड़ रुपये के उस टेंडर को बीएमसी ने खारिज कर दिया है, जिसके तहत सूखे कचरे का मैनेजमेंट किया जाना था। इस योजना के माध्यम से घर-घर से कूड़े का कलेक्शन करना और स्लम एरिया में रास्तों की सफाई, नालों की सफाई और टॉयलेट का मेंटनेंस करना शामिल था।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईThu, 20 Feb 2025 09:39 AM
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फडणवीस से कोल्ड वार के बीच एकनाथ शिंदे को एक और झटका, उनकी लाई बड़ी परियोजना खत्म

महाराष्ट्र में सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच चल रहे शीत युद्ध में लगातार नए-नए दांव चले जा रहे हैं। फिलहाल सत्ता की ड्राइविंग सीट पर देवेंद्र फडणवीस हैं। कई बार एकनाथ शिंदे को चुभने वाले निर्णय भी प्रदेश सरकार से लेकर स्थानीय निकाय तक में लिए जा रहे हैं। अब एकनाथ शिंदे का प्रोजेक्ट कहे जाने वाले 1400 करोड़ रुपये के उस टेंडर को बीएमसी ने खारिज कर दिया है, जिसके तहत सूखे कचरे का मैनेजमेंट किया जाना था। इस योजना के तहत 4 साल के लिए टेंडर जारी हुआ था। इस योजना के माध्यम से घर-घर से कूड़े का कलेक्शन करना और स्लम एरिया में रास्तों की सफाई, नालों की सफाई और टॉयलेट का मेंटनेंस करना शामिल था।

इस योजना के तहत बीते साल फरवरी में टेंडर जारी किया गया था। इसके बाद बीएमसी ने सफाई व्यवस्था शुरू की थी। हर वीकेंड पर स्लम बस्तियों में सफाई अभियान चलाए जा रहे थे और झुग्गी बस्तियों में नियमित सफाई के लिए एक एजेंसी भी हायर करने की योजना थी। इस योजना को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब बेरोजगार संस्था फेडरेशन ने इस पर आपत्ति जताई। इनका कहना था कि स्थानीय स्तर पर सामुदायिक संस्थाओं को इसमें शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है. जबकि वे लंबे समय से ऐसा करते आ रहे हैं। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। यही नहीं एमएलसी प्रवीण दारेकर ने भी मॉनसून सेशन में सदन में इसका सवाल उठा दिया था। जब यह मामला बढ़ा तो अब बीएमसी ने स्कीम का टेंडर ही कैंसिल कर दिया है। इस तरह यह पूरी योजना ही रद्द हो गई है।

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एकनाथ शिंदे के लिए प्रोजेक्ट को रद्द किया जाना करारा झटका है। इसकी वजह यह है कि स्कीम के माध्यम से वह स्लम एरिया में अपनी ताकत बढ़ाना चाहते थे। अब उनके पास जनता तक पहुंचने वाली यह बड़ी योजना नहीं रहेगी। बीएमसी का चुनाव एकनाथ शिंदे भाजपा से अलग होकर अपने दम पर लड़ने की योजना बना रहे हैं। ऐसे में बीएमसी का टेंडर ही रद्द कर देना उनके लिए झटका है। अब उनके पास जनता को लुभाने वाली एक बड़ी स्कीम नहीं रहेगी। बता दें कि बीएमसी चुनाव में अब तक किसी भी गठबंधन में एक साथ लड़ने पर सहमति नहीं बनी है। महायुति से लेकर महाविकास अघाड़ी तक के सभी दल अलग-अलग ही चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।

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