एकनाथ शिंदे अब आरपार के मूड में? फडणवीस की मौजूदगी वाले आयोजनों से बनाई दूरी, गढ़ में भी गायब
- डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे तीन सरकारी कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे, जिनमें सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी थी। ठाणे के बदलापुर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के अनावरण पर शिंदे मौजूद नहीं थे। यह बात हैरान करने वाली थी क्योंकि ठाणे को एकनाथ शिंदे का गृह क्षेत्र माना जाता है।
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महाराष्ट्र की सरकार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच पैदा हुई खाई बढ़ती जा रही है। नवंबर 2024 में नई सरकार बनी तो ढाई साल तक एकनाथ शिंदे के डिप्टी रहे देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए। वहीं फडणवीस के रोल में एकनाथ शिंदे आए और साथ में अजित पवार भी डिप्टी सीएम हैं। इस तरह ताकत कम होना और अजित पवार के साथ उसे शेयर किया जाना एकनाथ शिंदे को अखरा है। तब से ही एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच शीत युद्ध की चर्चाएं हैं। एकनाथ शिंदे कई बार अहम कार्यक्रमों को छोड़कर जब सतारा स्थित अपने पैतृक गांव तो इन चर्चाओं को और बल मिला। यही नहीं अब उनके कदमों ने इस राजनीतिक खींचतान के और बढ़ने के संकेत दिए हैं।
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे तीन सरकारी कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे, जिनमें सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी थी। ठाणे के बदलापुर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के अनावरण पर शिंदे मौजूद नहीं थे। यह बात हैरान करने वाली थी क्योंकि ठाणे को एकनाथ शिंदे का गृह क्षेत्र माना जाता है। यहां के मामलों में वह खास दिलचस्पी लेते रहे हैं। ऐसे में ठाणे में महाराज शिवाजी को लेकर हुए आय़ोजन से उनकी दूरी चौंकाने वाली थी। इसके बाद आगरा किले में हुए आयोजन में भी शिंदे नहीं पहुंचे। शिवसृष्टि थीम पार्क के लोकार्पण के दौरान भी एकनाथ शिंदे की मौजूदगी नहीं रही। इन तीनों ही आयोजनों में देवेंद्र फडणवीस मुख्य उपस्थिति के नाते मौजूद थे।
इस तरह एकनाथ शिंदे के तीन आयोजनों से लगातार दूर रहने को लेकर कयास तेज हैं। नासिक और रायगढ़ जिलों के प्रभारी मंत्रियों को लेकर पहले ही भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच मतभेद हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे का आयोजनों से ही दूर रहना सुर्खियां बन रहा है। 2022 में उद्धव ठाकरे से बागी होकर एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ आ गए थे और नई बनी सरकार के ढाई साल तक मुखिया रहे। फिर नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अकेले ही 135 सीटें जीत लीं। अंत में भाजपा का ही सीएम बना, जबकि एकनाथ शिंदे चाहते थे कि उन्हें ही मौका दिया जाए। उन्हें भाजपा ने डिप्टी सीएम बनाया, जबकि उनकी होम मिनिस्ट्री की मांग को भी खारिज कर दिया। माना जाता है कि उसके बाद से ही एकनाथ शिंदे और भाजपा के बीच मतभेद बने हुए हैं।
कई फैसले भी बीते तीन महीनों में ऐसे हुए हैं, जिनसे तनाव बढ़ा है। एक तरफ बीएमसी ने 1400 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया, जिसे एकनाथ शिंदे लाए थे तो वहीं उनके करीबी को सीएम रिलीफ फंड से हटा दिया गया। एकनाथ शिंदे के कई विधायकों की वाई कैटिगरी सुरक्षा भी वापस ले ली गई है। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि उन विधायकों की ही सुरक्षा वापस ली गई है, जो मंत्री नहीं हैं या फिर उनके पास कोई अन्य पद नहीं हैं।