महाराष्ट्र में बीच चुनाव कांग्रेस ने ठोका CM पद पर दावा, गठबंधन में आ सकती है गांठ
- कांग्रेस लीडर पृथ्वीराज चव्हाण ने बीच चुनाव में सीएम पद अपनी पार्टी का अधिकार बताया है। इससे नया विवाद खड़ा हो सकता है। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि हमारा भरोसा है कि महाविकास अघाड़ी को चुनाव में जीत मिलेगी और अगला सीएम अब कांग्रेस से होगा। इससे गठबंधन में दरार की स्थिति भी पैदा हो सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले उद्धव ठाकरे ने मांग की थी कि महाविकास अघाड़ी को पहले ही सीएम फेस पर फैसला कर लेना चाहिए। तब कांग्रेस और शरद पवार का कहना था कि फिलहाल एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए और इस पर बाद में फैसला होगा। इस तरह उद्धव ठाकरे की दावेदारी को किनारे लगा दिया गया था, लेकिन कांग्रेस लीडर पृथ्वीराज चव्हाण ने बीच चुनाव में सीएम पद अपनी पार्टी का अधिकार बताया है। इससे नया विवाद खड़ा हो सकता है। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि हमारा भरोसा है कि महाविकास अघाड़ी को चुनाव में जीत मिलेगी और अगला सीएम अब कांग्रेस से होगा।
पूर्व सीएम ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा कि मेरे से आरएसएस के सीनियर नेता संपर्क किया था और भाजपा में आने को कहा था। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस ही रहूंगा और इस बार चुनाव के बाद हमारा ही मुख्यमंत्री बनेगा। अब पृथ्वीराज चव्हाण के सीएम पद पर कांग्रेस के दावे वाले बयान पर उद्धव ठाकरे गुट का भी रिएक्शन आ सकता है। खासतौर पर चुनाव के बीच पृथ्वीराज च्वाहण का ऐसा दावा करना गठबंधन में नई बहस शुरू कर सकता है। पृथ्वीराज चव्हाण ने यह भी माना कि उन्हें दक्षिण कराड़ सीट पर टाइट फाइट मिल रही है। यहां से भाजपा के अतुल भोसले मुकाबले में हैं, जिनका कहना है कि यदि वह चुनाव जीते तो क्षेत्र के लिए ज्यादा फंड लाएंगे।
इस पर चव्हाण ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ऐसा हो रहा है। भाजपा अब होर्डिंग लगाकर दावे कर रही है कि हम जीते तो ज्यादा फंड लाएंगे। लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है। इनकी सभी परियोजनाएं कागज पर हैं और होर्डिंग लगा दी जाती हैं। जमीन पर काम तो नहीं दिख रहे। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने चुनाव से पहले यह भी कहा था कि सीएम का फैसला इस बात पर नहीं होगा कि ज्यादा सीटें किसने जीती हैं। उनका सीधा संकेत था कि यदि कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिल जाती हैं, तब भी सीएम पद पर दावा उनका ही रहेगा।
दरअसल यही वजह थी कि दोनों दलों के बीच इस बात को लेकर भी खींचतान लंबी चली कि ज्यादा सीटों पर कौन लड़ेगा। अंत में कांग्रेस और उद्धव सेना के बीच सीटों का मामूली अंतर ही रह गया और उद्धव खेमा इसे अपनी ताकत के तौर पर देख रहा है। हालांकि वास्तविक समीकरण तो चुनाव के बाद ही पता चल पाएंगे।