एकनाथ शिंदे के बाद अब अजित पवार भी मुश्किल में, अलग राह अपना सकते हैं छगन भुजबल
- भुजबल ने कहा कि वह नई कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने से नाखुश हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे दरकिनार कर दिया गया या पुरस्कृत किया गया।’ एनसीपी लीडर ने कहा, ‘मंत्री पद आते-जाते रहते हैं, लेकिन उन्हें खत्म नहीं किया जा सकता।’
महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल न किए जाने से वरिष्ठ नेता छगन भुजबल नाराज हैं। अजित पवार की एनसीपी से विधायक छगन भुजबल ने कहा कि वह अगले कुछ दिनों अपने भविष्य की राह बताएंगे। उन्होंने कहा कि पहले अपनी विधानसभा सीट पर लोगों से बात करेंगे और उसके बाद ही आगे का फैसला लिया जाएगा। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के पहले कैबिनेट विस्तार में रविवार को महायुति के घटक दलों भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के 39 विधायकों ने शपथ ली। कैबिनेट से 10 पूर्व मंत्रियों को हटा दिया गया और 16 नए चेहरों को शामिल किया गया है।
पूर्व मंत्री भुजबल और एनसीपी के ही दिलीप वलसे पाटिल को जगह नहीं मिली है। इसके अलावा भाजपा के मुनगंटीवार और विजयकुमार गावित नए मंत्रिमंडल से बाहर किए गए कुछ प्रमुख नेता हैं। इसी पर मीडिया से बातचीत में भुजबल ने कहा कि वह नई कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने से नाखुश हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे दरकिनार कर दिया गया या पुरस्कृत किया गया।’ एनसीपी लीडर ने कहा, ‘मंत्री पद आते-जाते रहते हैं, लेकिन उन्हें खत्म नहीं किया जा सकता।’
भविष्य के कदम के बारे में पूछे जाने पर नासिक जिले के येओला निर्वाचन क्षेत्र के विधायक ने कहा, ‘मुझे देखने दीजिए। मुझे इस पर विचार करने दीजिए। मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से बात करूंगा और समता परिषद के साथ चर्चा करूंगा।’ फडणवीस ने रविवार को कैबिनेट विस्तार के बाद कहा था कि महायुति सहयोगी ने अपने कार्यकाल के दौरान मंत्रियों का ‘प्रदर्शन ऑडिट’ कराने पर सहमति जताई है। भुजबल ने मंत्रियों के ‘प्रदर्शन ऑडिट’ पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पूर्व मंत्री दीपक केसरकर को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन उन्होंने कहा कि वह निराश नहीं हैं।
एकनाथ शिंदे के विधायक का भी गुस्सा फूटा- पूछा मेरी गलती क्या है
वहीं कांग्रेस नेता भाई जगताप ने कहा कि मंत्रियों के ‘प्रदर्शन ऑडिट’ का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि यदि कोई मंत्री प्रदर्शन नहीं करता, तो ढाई साल तक इंतजार क्यों करना? बता दें कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता नरेंद्र भोंडेकर ने भी मंत्री न बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। यही नहीं उन्होंने खुली बगावत करते हुए विदर्भ के शिवसेना संयोजक के पद से इस्तीफा भी दे दिया है। उनका कहना है कि आखिर मैंने एकनाथ शिंदे की शिवसेना में रहकर क्या गलती की थी कि आज मंत्री पद नहीं दिया गया।