Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़78 year old woman kept under digital arrest for a month duped 4 37 crore Rs in Pune

78 वर्षीय महिला को एक महीने रखा 'डिजिटल अरेस्ट', ठगे 4.37 करोड़ रुपये; CBI के नाम पर रचा जाल

  • महिला को दिसंबर की शुरुआत में अज्ञात नंबरों से व्हाट्सएप मैसेजेस और कॉल मिलने लगीं। अपराधियों ने दावा किया कि उनका आधार कार्ड ड्रग्स तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पुणेWed, 29 Jan 2025 03:04 PM
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78 वर्षीय महिला को एक महीने रखा 'डिजिटल अरेस्ट', ठगे 4.37 करोड़ रुपये; CBI के नाम पर रचा जाल

पुणे पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने एक बड़े ऑनलाइन ठगी मामले की जांच शुरू की है। इस मामले में 78 वर्षीय एक सीनियर सिटीजन महिला से 4.37 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई। अपराधियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हें ड्रग तस्करी के झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी दी और कई हफ्तों तक मानसिक प्रताड़ना दी।

कैसे दिया साइबर अपराधियों ने वारदात को अंजाम

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता पुणे में रहती हैं और उनका परिवार एक औद्योगिक व्यवसाय चलाता है। महिला ने इस महीने की शुरुआत में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई। दिसंबर के पहले सप्ताह से जनवरी के पहले सप्ताह के बीच, अपराधियों ने उन्हें सरकारी जांच और सुप्रीम कोर्ट की जमानत के नाम पर आठ बार में 4.37 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया।

डराने और फंसाने की रणनीति

महिला को दिसंबर की शुरुआत में अज्ञात नंबरों से व्हाट्सएप मैसेजेस और कॉल मिलने लगीं। अपराधियों ने दावा किया कि उनका आधार कार्ड ड्रग्स तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है। अपराधियों ने महिला से कहा कि आपका नाम मुख्य आरोपी अशोक गुप्ता से जोड़ा गया है। यह बहुत गंभीर आरोप हैं। यदि आप हमारी बात नहीं मानतीं, तो आपको जेल जाना पड़ेगा।

इसके बाद, उन्हें फर्जी दस्तावेज भेजे गए जिनमें ‘सीबीआई गोपनीयता समझौता’ और ‘प्रवर्तन निदेशालय, गिरफ्तारी और संपत्ति फ्रीज आदेश’ शामिल थे। व्हाट्सएप कॉल के जरिए उनसे कहा गया कि उनका मामला ‘सीबीआई दिल्ली’ देख रही है और उन्हें 5 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।

‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर ठगी

महिला को बाद में एक व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने दावा किया कि उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया है और जब तक जांच पूरी नहीं होती, वे किसी से बात नहीं कर सकतीं। उन्हें बार-बार वीडियो और ऑडियो कॉल पर रहने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, अपराधियों ने महिला से उनके सभी बैंक खाते, बचत और निवेश की जानकारी डायरी में लिखने को कहा और फिर उसकी तस्वीरें भेजने के निर्देश दिए। डर के कारण, पीड़िता ने उनकी सभी बातें मानीं।

कैसे हुआ खुलासा

चार हफ्तों तक महिला को वीडियो और ऑडियो कॉल पर रखा गया और अलग-अलग लोकेशन के बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने को कहा गया। इन बैंक खातों की लोकेशन इम्फाल, तेजपुर, नवी मुंबई, ऋषिकेश और पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जैसी जगहों पर थीं। जनवरी के पहले सप्ताह में, जब पीड़िता के परिवार के एक सदस्य ने उनकी डायरी देखी और बैंक अकाउंट चेक किया, तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद, उन्होंने तुरंत पुणे साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई।

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पहले भी हो चुकी है करोड़ों की ठगी

यह पुणे में इस तरह का दूसरा बड़ा मामला है। इससे पहले, नवंबर 2024 में, पुणे के 59 वर्षीय आईटी एग्जीक्यूटिव से भी 6.29 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है। उस मामले में भी अपराधियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर पीड़ित को मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे आरोपों में फंसाया और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर उनसे पैसे ऐंठ लिए थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस ताजा मामले में जांच जारी है और अपराधियों की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। साइबर ठगों से बचाव के लिए नागरिकों को सतर्क रहने और किसी भी अनजान कॉल या संदेश पर विश्वास न करने की सलाह दी गई है।

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