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मेरठ जोन में कम हो रहे डिजिटल अरेस्ट! यूपी पुलिस के आंकड़े बता रहे घटे मामले

  • मेरठ जोन में डिजिटल अरेस्ट के मामले कम हो रहे हैं। यह पुलिस विभाग के आंकड़े बोल रहे हैं। बात करें तो पिछले डेढ़ माह के अंतराल में जोन के किसी भी जनपद में कोई शिकायत नहीं मिली है। अफसर जागरूकता मुहिम को इसका श्रेय दे रहे हैं।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, अश्वनी जौहरी, मेरठWed, 29 Jan 2025 01:22 PM
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मेरठ जोन में कम हो रहे डिजिटल अरेस्ट! यूपी पुलिस के आंकड़े बता रहे घटे मामले

मेरठ जोन में डिजिटल अरेस्ट के मामले कम हो रहे हैं। यह पुलिस विभाग के आंकड़े बोल रहे हैं। बात करें तो पिछले डेढ़ माह के अंतराल में जोन के किसी भी जनपद में कोई शिकायत नहीं मिली है। अफसर जागरूकता मुहिम को इसका श्रेय दे रहे हैं। साइबर क्राइम की तमाम वारदातों के बीच डिजिटल अरेस्ट ने दस्तक देकर एकाएक खलबली मचाने का काम किया था। जोन की बात करें तो जनपद बुलंदशहर के थाना कोतवाली अंतर्गत प्रमोद कुमार को फर्जी दरोगा बनकर डराया गया और 70 हजार की ठगी की गई। इसके बाद डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते गए।

एक जनवरी 2023 से 23 दिसंबर 2024 के बीच सातों जिलों में 16 मुकदमे दर्ज हुए। मेरठ में सात, बुलंदशहर व सहारनपुर में तीन-तीन, मुजफ्फरनगर में दोव शामली में एक मुकदमा दर्ज किया। बागपत हापुड़ में डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने नहीं आया। दो वर्ष में 2,70,87,231 रुपये की ठगी हुई, विभाग 71,55,383 रिकवर कर पाया है।

मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक, ध्रुवकांत ठाकुर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उसी का नतीजा है कि मामलों में गिरावट आई है। कई जनपद में लोग शिकायत लेकर पहुंचे थे कि वह डिजिटल अरेस्ट होने से बच गए। ऐसे मामलों का भी पुलिस संज्ञान ले रही है।

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मेरठ में डिजिटल अरेस्ट की बड़ी वारदात

सातों जनपदों में मेरठ डिजिटल अरेस्ट के मामले में संवेदनशील रहा। यहां सर्वाधिक सात मामले प्रकाश में आए। सबसे बड़ी वारदात पांडवनगर निवासी रिटायर्ड बैंककर्मी के साथ 1,73,80,000 रुपये की रही, जिसमें पुलिस ने 60 लाख रुपये रिकवर कराए, जबकि नौ लोगों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया।

नहीं पहुंच पा रही शिकायत

डिजिटल अरेस्ट के मामले राहत देने वाले हैं लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने के बाद शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। वह साइबर थानों से दूरी बना रहे हैं। ऐसे मामलों में होने वाली कार्रवाई का अभाव भी इसकी वजह है।

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