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तांबे के बर्तन में पानी पीकर ना हो जाएं बीमार, जानें क्या कहते हैं बड़े-बुजुर्ग

तांबे की बोतल में पानी पीते हैं तो संभल जाएं नहीं तो हो सकती है कॉपर टॉक्सिटी। जानें आयुर्वेद के साथ ही घर के बड़े-बुजुर्ग क्या देते हैं तांबे के बर्तन में पानी पीने के लिए सलाह।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानSun, 4 Aug 2024 06:32 AM
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तांबे के बर्तन का इस्तेमाल बीते कुछ सालों से तेजी से बढ़ा है। खासतौर पर मार्केट में तांबे की बोतल खूब सारी बिकने लगी है और लोग हेल्दी रहने के लिए इन बोतलों में पानी पीना पसंद करते हैं। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से काफी सारे हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं। डाइजेशन इंप्रूव होने के साथ ही इम्यूनिटी बूस्ट होती है। लेकिन तांबे के बर्तन में पानी पीने से केवल फायदे ही नहीं होते बल्कि कई सारे सेहत को नुकसान भी हो जाते हैं। जानें शरीर में बढ़ गई अगर कॉपर की मात्रा तो कैसे होगा बॉडी को नुकसान

कॉपर की बोतल, गिलास, जग से लगातार पानी पीने की वजह से कॉपर टॉक्सिटी की समस्या बढ़ने का खतरा रहता है। कॉपर यानी तांबा हैवी मैटल होता है और जब ये शरीर में ज्यादा हो जाता है तो शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है और ये बीमारियां होने लगती है।

कॉपर प्वाइजनिंग की वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इश्यू होने लगते हैं, मिचली, उल्टी, डायरिया जैसी दिक्कतें।

अगर बहुत ज्यादा प्वाइजनिंग बढ़ गई है तो इससे लीवर डैमेज का खतरा हो जाता है।

वहीं साथ ही किडनी प्रॉब्लम, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है।

क्यों होती है कॉपर टॉक्सिटी की समस्या

तांबे की बोतल से जब गलत तरीके से पानी पिया जाता है। या फिर तांबे की बोतल को ठीक से साफ नहीं किया जाता है तो कॉपर टॉक्सिटी की समस्या होने का खतरा ज्यादा होता है।

तांबे या कॉपर के बर्तन में पानी पीने का क्या है सही तरीका

तांबे के बर्तन में पानी पीने का सबसे सही तरीका है हाइजीन, अगर आप तांबे की बोतल का इस्तेमाल कर रही हैं तो इसकी सफाई बहुत गहराई से करनी जरूरी होती है। अगर ठीक से तांबे की बोतल साफ नही है तो ये बहुत जल्दी ऑक्सीडेशन के प्रोसेस में पहुंच जाती है और हार्मफुल बैक्टीरिया पैदा करती है।

इसलिए तांबे की बोतल की बजाय बड़े जग का इस्तेमाल करें। जिसको आप आसानी से साफ कर सकें।

तांबे के बर्तन में कभी भी गर्म पानी डालकर ना रखें। ये पानी हार्मफुल कॉपर कंटेट के साथ हो जाता है। जिसे पीना मतलब सेहत के साथ खिलवाड़ है।

तांबे की बोतल या जग में नींबू पानी जैसे एसिडिक चीजों को रखकर नहीं पीना चाहिए। इससे तांबा एसिडिक चीजों के साथ फौरन रिएक्ट करना शुरू कर देता है।

आयुर्वेद में क्या है तांबे के बर्तन में पानी पीने का सही तरीका

आयुर्वेद में तांबे के बर्तन में पानी पीने के कुछ खास नियम बताए गए हैं।

जैसे कि तांबे के बर्तन में रखा पानी 8-10 घंटे पुराना ना हो मतलब कि रातभर इस पानी को रखकर सुबह पी लें।

ज्यादा देर तक पानी रखने से कॉपर टॉक्सिटी बढ़ जाती है।

तांबे के बर्तन का लाभ लेना है तो मात्र एक से दो बार ही पानी पानी पिएं। सुबह के वक्त तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से पर्याप्त मात्रा में कॉपर मिल जाता है। इसके बाद पूरे दिन आप नॉर्मल वाटर पी सकते हैं।

तांबे के बर्तन को रोजाना साफ करना जरूरी है जिससे कि इसका ऑक्सीडेशन ना होने पाए और बैक्टीरिया ना पनपें। नहीं तो पेट दर्द, मिचली, उल्टी, डायरिया की समस्या होने लगती है।

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