आधुनिक सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय होगा राजमहल रेलवे स्टेशन
आधुनिक सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय होगा राजमहल रेलवे स्टेशन बल, स्टेशन में लगे पेयजल , लाइट, रंग रोगन आदि का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने ने

आधुनिक सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय होगा राजमहल रेलवे स्टेशन डीआरएम का निरीक्षण राजमहल, प्रतिनिधि। मालदा के प्रभारी डीआरएम यतीश कुमार ने शुक्रवार को राजमहल रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया। डीआरएम दोपहर करीब दो बजे बजे इंस्पेक्शन कार से राजमहल स्टेशन पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने अमृत भारत योजना के तहत स्टेशन में चल रहे सौंदर्यीकरण व निर्माण कार्य का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि राजमहल स्टेशन भी एनएसजी 5 श्रेणी में आता है । पूर्व रेलवे के प्रमुख स्टेशनों में यह शामिल है। अमृत भारत परियोजना के तहत प्रथम चरण में 7.03 करोड़ रुपए स्वीकृत की गई है। इसमें सिविल, इलेक्ट्रिकल, एसएंडटी कार्य, साइनेज वर्क शामिल हैं।
स्टेशन का सौंदर्यीकरण व निर्माण कार्य अब लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने प्रथम श्रेणी प्रतीक्षालय, रेलवे सुरक्षा बल, स्टेशन में लगे पेयजल , लाइट, रंग रोगन आदि का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने ने बताया कि अमृत भारत योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है । करोड़ों रुपए की लागत से राजमहल स्टेशन का सौंदर्यीकरण हो जा रहा है । स्टेशन की खूबसूरती के साथ-साथ लोगों को भी काफी सहूलियत होगी। मौके पर उन्होंने निरीक्षण के दौरान जहां-जहां कमी पाई , उसे संबंधित इंजीनियर एवं संवेदक को सुधार करने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि संभवत: इसी महीने राजमहल स्टेशन के सौंदर्यीकरण कार्य का उद्घाटन होगा। मौके पर डीईएन नीरज कुमार वर्मा, डीसीएम अनजन, पंकज कुमार, चंद्र कुमार पाटिल, असीम कुमार कुल्लू, राजेंद्र कुमार, रुपेश कुमार, स्टेशन प्रबंधक दिलीप कुमार साहा आदि मौजूद थे। फोटो 102, राजमहल रेलवे स्टेशन का निरीक्षण करते डीआरएम। प्रथम चरण में हुए प्रमुख कार्य: -आधुनिक अग्रभाग का निर्माण एवं सौंदर्यपूर्ण अग्रभाग लाइटिंग -सर्कुलेटिंग एरिया एवं पैदल मार्गों का विकास -लंबी ट्रेनों के लिए प्लेटफार्म का विस्तार -प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी प्रतीक्षालय, रिजर्व लाउंज, एग्जीक्यूटिव लाउंज, महिला प्रतीक्षालय तथा पे एंड यूज टॉयलेट का निर्माण -दिशानिर्देशन के लिए साइनेजेज कार्यों का निष्पादन -आकर्षक मूर्तियों की स्थापना एवं मानक इंटीरियर्स का विकास -स्थानीय कला और ऐतिहासिक धरोहरों से प्रेरित आंतरिक एवं बाह्य डिज़ाइन -पूर्णत: दिव्यांगजन-अनुकूल अवसंरचना -इंडोर बड़ी स्क्रीन वीडियो वॉल की स्थापना
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