ट्रेड वॉर में चीन का ही घाटा, अमेरिका का कुछ नहीं जाता; कैसे जवाबी टैरिफ से ट्रंप होंगे बेफिक्र
- ट्रंप प्रशासन बेफिक्र होगा क्योंकि अमेरिका चीन से बड़े पैमाने पर सामानों का आयात करता है, लेकिन चीन कम चीजें खरीदता है। ऐसे में टैक्स लगाने से भी अमेरिका को ज्यादा असर नहीं होगा। इसकी बजाय चीनी कंपनियों के लिए त्राहिमाम वाली स्थिति हो सकती है क्योंकि उनके लिए अमेरिका हमेशा से एक बड़ा बाजार रहा है।
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अमेरिका ने चीन के साथ ट्रेड वॉर को तेज करते हुए सभी उत्पादों पर अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। इसके जवाब में चीन ने टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। चीन की शी जिनपिंग सरकार ने अमेरिका से आने वाले कोयले और एलएनजी पर 15 फीसदी अतिरिक्त टैक्स का ऐलान कर दिया है तो वहीं कच्चे तेल पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की है। इसके बाद भी ट्रंप प्रशासन बेफिक्र होगा क्योंकि अमेरिका चीन से बड़े पैमाने पर सामानों का आयात करता है, लेकिन चीन कम चीजें खरीदता है। ऐसे में टैक्स लगाने से भी अमेरिका को ज्यादा असर नहीं होगा। इसकी बजाय चीनी कंपनियों के लिए त्राहिमाम वाली स्थिति हो सकती है क्योंकि उनके लिए अमेरिका हमेशा से एक बड़ा बाजार रहा है।
चीनी उत्पादों की बढ़ी कीमत से उनके लिए बाजार में बने रहना मुश्किल होगा। यही वजह है कि अमेरिका ने चीन को लेकर पूरी आक्रामकता दिखाई है। टैरिफ वॉर में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कनाडा और मेक्सिको को एक महीने का वक्त दिया है, लेकिन चीन पर तत्काल प्रभाव से टैरिफ लगाए हैं। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि चीन से नशीली दवा फैंटानिल दवा की तस्करी पर रोक नहीं लगाई जा रही है। यह अवैध रूप से अमेरिका में पहुंच रही है, जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नशे के लिए हो रहा है। अमेरिका पर चीनी ऐक्शन का असर इसलिए कम होगा क्योंकि वह चीन में कम मात्रा में एक्सपोर्ट करता है। क्रूड ऑयल के मामले में चीन की निर्भरता अमेरिका पर बेहद कम है। वह उससे अपनी जरूरत का 1.7 फीसदी आयात ही करता है। इसके अलावा एलएनजी का आयात भी अमेरिका से 5 फीसदी ही है।
टैरिफ वॉर के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों पर असर हो सकता है। क्रूड ऑयल, एलएनजी आदि की कीमतों में गिरावट आ सकती है, लेकिन इससे लंबे समय में चीन को ही नुकसान होगा। वहीं अमेरिका के साथ यदि चीन का टैरिफ वॉर तेज हुआ तो यह भारत के लिए मौके की घड़ी होगी। कोरोना काल में भी जब कई कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन छोड़ा तो भारत को ठिकाना बनाया। अब फिर से ऐसा हो सकता है कि कई अमेरिकी टेक कंपनियां भारत में अपनी यूनिट्स लगा लें। ऐसा हुआ तो भारत को दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा वाली तर्ज पर लाभ हो सकता है। फिलहाल अगले कुछ महीने ट्रेड वॉर वाले हो सकते हैं। देखना होगा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की सख्ती की चीन क्या काट निकालता है।
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