यूक्रेनी राष्ट्रपति पर इस्तीफे का दबाव बना रही ट्रंप सरकार, कौन ले सकता है जेलेंस्की की जगह? ये हैं 4 नाम
- ट्रंप प्रशासन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने कहा कि किसी भी व्यावहारिक वार्ता के लिए यूक्रेन को क्षेत्रीय रियायतें देनी होंगी और जेलेंस्की का नेतृत्व शांति समझौते में बाधा बन सकता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रमुख सहयोगियों ने सुझाव दिया है कि अगर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की रूस के साथ शांति वार्ता करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। यह विवादास्पद मांग वॉशिंगटन में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद आई है। इस बैठक में ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस की जेलेंस्की के साथ तीखी बहस हुई थी। बैठक में जेलेंस्की के रूस के साथ बातचीत से इनकार करने और अमेरिकी समर्थन के प्रति कथित "आभार की कमी" को लेकर तीखी बहस हुई, जिसके बाद प्रस्तावित खनिज सौदे पर हस्ताक्षर भी नहीं हो सके।
ट्रंप प्रशासन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने कहा कि किसी भी व्यावहारिक वार्ता के लिए यूक्रेन को क्षेत्रीय रियायतें देनी होंगी और जेलेंस्की का नेतृत्व शांति समझौते में बाधा बन सकता है। अमेरिकी हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की और कहा, "उन्हें या तो समझदारी दिखानी होगी और कृतज्ञता के साथ वार्ता की मेज पर लौटना होगा, या फिर किसी और को देश की बागडोर संभालनी चाहिए।"
जेलेंस्की का पलटवार
अमेरिकी दबाव के जवाब में जेलेंस्की ने ब्रिटिश मीडिया से कहा, "मुझे हटाना इतना आसान नहीं होगा। सिर्फ़ चुनाव कराना काफी नहीं है, आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मैं चुनाव न लड़ सकूं। यह थोड़ा कठिन होगा। इसका मतलब है कि आपको मुझसे ही बात करनी होगी।" उन्होंने यह भी कहा कि अगर यूक्रेन को नाटो की सदस्यता मिल जाती है, तो वह राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए तैयार हैं।
इस्तीफे की स्थिति में कौन हो सकता है अगला नेता?
समाचार पत्रिका न्यूजवीक के अनुसार, यदि स्वेच्छा से या दबाव में जेलेंस्की पद छोड़ते हैं तो कई नाम उनकी जगह लेने के लिए उभर सकते हैं।
विटाली क्लिट्स्को- कीव के मेयर और पूर्व हेवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन, जो रूसी हमलों के दौरान राजधानी की रक्षा में अहम भूमिका निभा चुके हैं। क्लिट्स्को यूक्रेन की संप्रभुता के मुखर समर्थक हैं और रूसी हमलों के दौरान उनकी नेतृत्व क्षमता को सराहा गया है।
वालेरी जालुज्नी- यूक्रेनी सेना के जनरल, जिन्हें 'आयरन जनरल' कहा जाता है। उन्होंने युद्ध के दौरान सैन्य सफलता में अहम भूमिका निभाई और सेना के साथ-साथ आम जनता के बीच लोकप्रिय हैं।
ओलेक्सी एरेस्टोविच- पूर्व राष्ट्रपति सलाहकार, जो सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि अगर जेलेंस्की चुनाव नहीं लड़ते तो वे खुद राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बन सकते हैं। उनकी सैन्य रणनीति और संचार कौशल उन्हें एक प्रमुख व्यक्ति बनाते हैं।
रुस्लान स्टेफानचुक- यूक्रेन की संसद के स्पीकर स्टेफानचुक जेलेंस्की के करीबी माने जाते हैं और राजनीतिक रूप से एक स्वाभाविक उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
अमेरिकी दबाव से पश्चिमी गठबंधन में दरार?
जेलेंस्की से इस्तीफे की मांग ने वैश्विक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं बटोरी हैं। अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए इसे "भयानक विचार" बताया और कहा कि यूक्रेन के लोकतंत्र का भविष्य बाहरी ताकतों द्वारा तय नहीं किया जाना चाहिए। रिपब्लिकन सीनेटर लिसा मुरकोव्स्की ने भी चिंता जताई कि अमेरिका का यूक्रेन पर दबाव कहीं रूस के पक्ष में न चला जाए, जिससे अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान हो सकता है। डेमोक्रेटिक सीनेटर क्रिस मर्फी ने ट्रंप प्रशासन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "व्हाइट हाउस अब क्रेमलिन का एक अंग बन चुका है।"
अमेरिका के इस बदलते रुख से यूरोप में भी हलचल मच गई है, क्योंकि फ्रांस और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देश अब भी यूक्रेन के समर्थन में पूरी तरह खड़े हैं। अगर जेलेंस्की पर अमेरिकी दबाव बढ़ता है, तो यह पश्चिमी गठबंधन में दरार ला सकता है और रूस-यूक्रेन युद्ध को एक नए मोड़ पर ले जा सकता है।
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