डोनाल्ड ट्रंप की राह पर सीरिया के नए 'किंग' गोलानी, ईरान और रूस को 440 वोल्ट का झटका; कैसे
- सीरिया के नए किंग और अंतरिम राष्ट्रपति गोलानी पहले विदेश दौरे में सऊदी अरब पहुंचे। उनका यह दौरान ईरान और रूस के लिए तगड़ा झटका कैसे है? पश्चिम एशिया में दोस्ती का नया अध्याय शुरू हो रहा है।
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डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की गद्दी संभालने के बाद ऐलान किया था कि वे पहला विदेश दौरा सऊदी अरब करेंगे। हालांकि इसके पीछे उन्होंने कीमत चुकाने की बात कही। ट्रंप के कहने का मतलब बड़े निवेश से था। 2017 में भी पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने पहला विदेश दौरा सऊदी अरब ही किया था। ट्रंप की राह पर सीरिया के नए 'किंग' अहमद अल-शराआ उर्फ गोलानी ने भी सऊदी अरब ही पहला विदेश दौरा चुना। बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद सीरिया में नई सरकार के सर्वेसर्वा गोलानी रविवार को पहली विदेश यात्रा में सऊदी अरब पहुंचे। सीरिया का यह दौरा ईरान और रूस के लिए तगड़ा झटका है।
सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति के सऊदी अरब दौरे ने ईरान और रूस को बैचेन कर दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि सीरिया और ईरान की वर्षों पुरानी दोस्ती रही है। असद सरकार के वक्त सीरिया के ईरान और रूस से बहुत अच्छे संबंध थे, लेकिन सीरिया ने ईरान की जगह पहला विदेश दौरा सऊदी अरब चुना। सीरिया का यह कदम उसके क्षेत्रीय गठबंधनों में बदलाव का संकेत देता है।
सऊदी अरब पहुंचे गोलानी
एक समय अल-कायदा से जुड़े रहे अबू मोहम्मद अल-गोलानी अपने विदेश मंत्री असाद अल-शैबानी के साथ रियाद पहुंचे। वे सऊदी विमान से यात्रा कर रहे थे, और उनके पीछे रखी टेबल पर सऊदी अरब का झंडा भी दिखाई दे रहा था।
पश्चिम एशिया में दोस्ती का नया अध्याय
सऊदी अरब के सरकारी टेलीविजन ने इस बात को प्रमुखता से दिखाया कि गोलानी ने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय दौरे के लिए रियाद को चुना। रियाद के हवाई अड्डे पर सीरिया के नए तीन-रंगी झंडे को सऊदी झंडे के साथ लहराते हुए देखा गया। गोलानी सूट और टाई पहने हुए थे, विमान से उतरते ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से अल-यमामा पैलेस में मिले। हालांकि, दोनों देशों ने इस बैठक के विवरण को सार्वजनिक नहीं किया।
ईरान और रूस को झटका कैसे
सऊदी अरब उन अरब देशों में शामिल था, जिन्होंने 2011 के अरब स्प्रिंग विरोध प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाने के लिए विद्रोही समूहों को धन मुहैया कराया था। लेकिन ईरान और रूस के समर्थन से असद ने इस युद्ध को संतुलन की स्थिति में पहुंचा दिया। हालांकि, दिसंबर 2023 में गोलानी के नेतृत्व में हुए अचानक हमले ने सीरिया की स्थिति को बदल दिया। उनकी हयात तहरीर अल-शाम (HTS) नामक समूह ने कुछ ही दिनों में असद की सरकार गिरा दी।
गोलानी ने ईरान और रूस दोनों से दूरी बनाए रखी है। ईरान ने अभी तक दमिश्क में अपना दूतावास फिर से नहीं खोला है, जो पहले सीरिया, लेबनान के हिज़बुल्लाह और अन्य सहयोगियों के बीच समन्वय का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। रूस भी अपने हवाई और समुद्री ठिकानों को बनाए रखना चाहता है, लेकिन जब असद को देश से भागना पड़ा, तो रूस ने उन्हें शरण दी।
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