विमान की कौन सी सीट होती है सबसे सुरक्षित और कौन खतरनाक? दक्षिण कोरिया में कैसे बची 2 की जान
पत्रिका के आकलन में पाया गया कि विमान में सबसे खतरनाक सीटें विमान के बीच और आगे की सीटें होती हैं क्योंकि उनमें क्रमशः 39 और 38% मृत्यु दर थी।
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दक्षिण कोरिया का एक विमान रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 179 लोगों की मौत हो गई, जबकि उस विमान पर सवार दो लोग इस हादसे में बच गए। दोनों जीवित बचने वाले उस विमान के अटेंडेंट हैं। बैंकॉक से दक्षिण कोरिया के मुआन जा रही जेजू एयर की बोइंग 737-800 उड़ान 7सी 2216 में तब कुल 181 लोग सवार थे। यह विमान लैंड करते समय रनवे से बाहर निकल गई थी और बाड़ से टकरा गई थी, जिसकी वजह से दुर्घटना हुई थी।
यह बोइंग विमान 15 साल पुराना था। दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने बताया कि रविवार को हुआ हादसा देश में 30 वर्षों में सबसे खराब विमानन दुर्घटनाओं में से एक है। रनवे से आगे निकलकर विमान एक दीवार से टकरा गया और लैंडिंग गियर के खुलने में विफल होने के बाद उसमें आग लग गई। इसकी वजह से विमान में झुलसकर 179 लोगों की मौत हो गई लेकिन बड़ी बात है कि उसी विमान में दो फ्लाइट अटेंडेंट (एक पुरुष और एक महिला) बच गए, जो उसी विमान की पिछली सीट पर बैठे थे। दोनों जीवित बचे फ्लाइट अटेंडेंट में 25 साल की कू और 33 साल के ली हैं। हालांकि, उन्हें चोट आई हैं। दोनों को दूसरे अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
प्लेन में कौन सी सीट सबसे सुरक्षित और कौन खतरनाक
टाइम पत्रिका द्वारा 2015 में विमान दुर्घटनाओं के आकलन में पाया गया कि विमान में सबसे सुरक्षित सीटें पीछे की ओर होती हैं,खासकर विमान का पिछला तीसरा हिस्सा। पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले हिस्से में मृत्यु दर 32 फीसदी है। जबकि, पंक्ति की स्थिति के मामले में सबसे अच्छी सीटें विमान के पीछे की बीच की सीटें थीं, जहां मृत्यु दर 28 फीसदी है।
पत्रिका के आकलन में पाया गया कि विमान में सबसे खतरनाक सीटें विमान के बीच और आगे की सीटें होती हैं क्योंकि उनमें क्रमशः 39 और 38% मृत्यु दर थी। पत्रिका ने पाया कि पंक्ति की स्थिति के मामले में सबसे खतरनाक सीटें केबिन के बीच के तीसरे हिस्से में गलियारे वाली सीटें थीं, जिनमें 44% मृत्यु दर थी।
न्यूज वीक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2007 में टेक्नोलॉजी और ऑटोमोटिव इनोवेशन पत्रिका पॉपुलर मैकेनिक्स ने नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड की 20 दुर्घटनाओं की रिपोर्ट की जांच की और पाया कि पीछे के केबिन में बैठे यात्रियों के दुर्घटना में बचने की संभावना 69 प्रतिशत थी। विंग के ऊपर बैठे लोगों के बचने की संभावना 56 फीसदी और विंग के आगे बैठे लोगों के बचने की संभावना 49% थी।
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