खाड़ी देशों के समूह के साथ बैठक करेंगे जयशंकर; क्या है GCC और भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण
- विदेश मंत्री जयशंकर भारत- खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए रियाद पहुंचे हैं। खाड़ी सहयोग परिषद यानी गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल(GCC) भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण समूह है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में भाग लेने के लिए सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे हैं। सऊदी अरब के प्रोटोकॉल मामलों के उप मंत्री अब्दुल मजीद अल स्मारी ने रियाद में जयशंकर का स्वागत किया। जयशंकर 8-9 सितंबर तक सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। रियाद पहुंचने पर जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "भारत-खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में भाग लेने के लिए सऊदी अरब के रियाद पहुंचा हूं। गर्मजोशी से स्वागत के लिए प्रोटोकॉल मामलों के उप मंत्री अब्दुल मजीद अल स्मारी का धन्यवाद।"
विदेश मंत्रालय की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान वह GCC के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने अपनी एक प्रेस रिलीज में कहा, "भारत और GCC के बीच राजनीतिक, व्यापार और निवेश, ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों सहित कई क्षेत्रों में गहरे संबंध हैं। GCC भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरा है और यहां लगभग 8.9 मिलियन भारतीय प्रवासी समुदाय रहता है। विदेश मंत्रियों की बैठक भारत और GCC के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा होगी।" रियाद की अपनी यात्रा के बाद जयशंकर 10-11 सितंबर को दो दिवसीय यात्रा के लिए जर्मनी की जाएंगे। इसके बाद विदेश मंत्री 12-13 सितंबर को आधिकारिक यात्रा पर स्विट्जरलैंड के जिनेवा जाएंगे।
क्या है GCC?
1981 में बनी GCC एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इसका मुख्यालय सऊदी अरब की राजधानी रियाद में है। इस समूह का उद्देश्य अपने सदस्यों के बीच समन्वय और आपसी संबंधों को मजबूत करना है। इसका जन्म 1979 में ईरान में हुई इस्लामी क्रांति के बाद हुआ था। GCC चार्टर में परिषद को एक राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और क्षेत्रीय संगठन कहा गया है। GCC के सदस्य देशों के साथ भारत के व्यापार और निवेश संबंधों की नींव मजबूत है। यूएई और सऊदी अरब भारत के साथ व्यापार क्षेत्र का दायरा बढ़ा रहे हैं और क्रमशः भारत के तीसरे और चौथे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरे हैं। यह बढ़ता आर्थिक तालमेल भारत और GCC के बीच एफटीए वार्ता को नई गति प्रदान कर सकता है जो 2004 से चल रही है।
भारत और GCC के संबंध
खाड़ी सहयोग परिषद के छह सदस्य देशों के साथ भारत के आर्थिक संबंध पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं। GCC के पर्याप्त तेल और गैस भंडार भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के बड़े हिस्से को पूरा करते हैं। साथ ही भारत इस समूह के खाद्य सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। नतीजतन भारत और GCC ने अपने संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" के रूप में मान्यता दी है। व्यापार, निवेश, प्रवासी सहभागिता, आतंकवाद निरोध और सुरक्षा सहयोग में सहयोग के बल पर 2015 के बाद से इन वाणिज्यिक संबंधों में और अधिक मजबूती आई है।
भारत-GCC क्यों हैं एक दूसरे के लिए जरूरी
भारत के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत और GCC के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में बढ़कर 154.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है जो 2020-21 में 87.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वहीं इन देशों में भारत का निर्यात 2021-22 में 58.26 प्रतिशत बढ़कर लगभग 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 27.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। भारत के कुल निर्यात में इन छह देशों की हिस्सेदारी 2021-22 में बढ़कर 10.4 प्रतिशत हो गई है जो 2020-21 में 9.51 प्रतिशत थी। आंकड़ों से पता चलता है कि आयात भी 2020-21 में 59.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 85.8 प्रतिशत बढ़कर 110.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। भारत के कुल आयात में GCC सदस्यों की हिस्सेदारी 2021-22 में बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई जो 2020-21 में 15.5 प्रतिशत थी।
भारत के रेमिटेंस में भी बड़ा योगदान
GCC देशों को भारत के शीर्ष तीन निर्यातों में कच्चा तेल (40 प्रतिशत), पेट्रोलियम गैस (18 प्रतिशत) और हीरे (आठ प्रतिशत) शामिल हैं। वहीं GCC से भारत के आयात में पेट्रोलियम (14 प्रतिशत), आभूषण (आठ प्रतिशत) और चावल (सात प्रतिशत) शामिल हैं। छह GCC सदस्य देशों में से एक यूएई, अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत दुनिया में सबसे अधिक रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश था जिसे लगभग 87 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए। इनमें से लगभग 50 प्रतिशत GCC देशों से आए।
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