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अब बांग्लादेश के राष्ट्रपति के खिलाफ सड़कों पर उतरे छात्र, क्यों कर रहे पद से हटाने की मांग

छात्र समूह के नेता ने राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को 'अपराधी' कहा क्योंकि उन्हें ‘हत्यारी हसीना’ द्वारा अवैध रूप से नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि हम उनसे तत्काल इस्तीफा देने और बंग भवन खाली करने का अनुरोध करते हैं। अन्यथा, हम जुलाई जैसांआंदोलन शुरू करेंगे।

Pramod Praveen पीटीआई, ढाकाTue, 22 Oct 2024 08:30 PM
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बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले एक प्रमुख छात्र संगठन के निशाने पर अब वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन आ गए हैं। इस छात्र संगठन ने मंगलवार को ढाका में प्रदर्शन किया और अपदस्थ प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर उनकी टिप्पणी को लेकर उन्हें पद से हटाने की मांग कर डाली। पिछले सप्ताह बांग्ला दैनिक मनाब ज़मीन को दिए एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने कहा था कि उनके पास इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच देश छोड़कर भागने से पहले शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन, जिसने हसीना को पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था के नेतृत्वकर्ताओं ने ढाका में मंगलवार को केंद्रीय शहीद मीनार के सामने रैली की और मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की। इस दौरान प्रदर्शनकारी नेता नासिर उद्दीन पटवारी ने कहा, "राष्ट्रपति फासीवाद के सहयोगी हैं। वे नरसंहार के पक्षधर थे। हम उनके इस्तीफे की मांग करते हैं।" कुछ प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति के खिलाफ अभियान चलाया जा सकता है।

शाधिनोता-शोरबोभौमोत्तो रोक्खा समिति (स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के लिए समिति) के बैनर तले प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ढाका विश्वविद्यालय परिसर में धरना दिया, जिसमें शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की गई और संविधान को समाप्त करने तथा "क्रांतिकारी सरकार" के गठन का आह्वान किया गया। प्रदर्शनकारियों ने हसीना की अवामी लीग पार्टी और उसके सहयोगियों को राजनीतिक गतिविधियों से अलग करने की भी मांग की। बाद में वे राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास बंग भवन की ओर मार्च करने लगे।

इस दौरान आंदोलकारी छात्रों के समूह के एक प्रमुख नेता रफीक खान ने राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को 'अपराधी' कहा क्योंकि उन्हें "हत्यारी हसीना" द्वारा "अवैध रूप से" नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा, "हम उनसे तत्काल इस्तीफा देने और बंग भवन खाली करने का अनुरोध करते हैं। अन्यथा, हम जुलाई में किए गए आंदोलन की तरह ही एक और आंदोलन शुरू करेंगे।" बांग्ला डेली को दिए एक इंटरव्यू में शहाबुद्दीन ने कहा था कि उन्होंने सुना है कि हसीना ने बांग्लादेश से भागने से पहले प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनके पास इससे जुड़े कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने बहुत कोशिश की लेकिन बहुत प्रयासों के बावजूद उन्हें कोई दस्तावेज नहीं मिला। शहाबुद्दीन ने कहा, "शायद उनके पास इस्तीफा देने का समय नहीं था।" बता दें कि भारी हिंसक विरोध-प्रद4शनों के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ढाका से भागकर दिल्ली आ गई थीं और तब से वह यहीं शरण लिए हुई हैं। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता 84 वर्षीय मुहम्मद यूनुस को 8 अगस्त को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बनाया गया था।

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5 अगस्त की घटना का विवरण देते हुए राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने कहा कि सुबह करीब 10:30 बजे हसीना के आवास से बंग भवन को फोन आया और बताया गया कि हसीना उनसे मुलाकात करेंगी। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह सुनकर बंग भवन में तैयारियां शुरू हो गईं। एक घंटे के भीतर ही एक और कॉल आई, जिसमें कहा गया कि वह नहीं आ रही हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर जगह अशांति की खबरें थीं...मैंने अपने सैन्य सचिव जनरल आदिल (मेजर जनरल मोहम्मद आदिल चौधरी) से इसे देखने को कहा। उनके पास भी कोई जानकारी नहीं थी। हम इंतजार कर रहे थे और टीवी देख रहे थे। कहीं कोई खबर नहीं थी। फिर, मैंने सुना कि वह (हसीना) मुझे बताए बिना देश छोड़कर चली गई हैं। मैं आपको सच बता रहा हूं।’’

शहाबुद्दीन ने कहा, ‘‘जब सेना प्रमुख जनरल वाकर बंगभवन आए, तो मैंने यह जानने की कोशिश की कि क्या प्रधानमंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया है। जवाब यही था: उन्होंने सुना है कि उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है, लेकिन शायद उन्हें हमें सूचित करने का समय नहीं मिला। जब सब कुछ नियंत्रण में था, तो एक दिन कैबिनेट सचिव इस्तीफ़े की प्रति लेने आए। मैंने उनसे कहा कि मैं भी इसकी तलाश कर रहा हूँ।’’ उन्होंने कहा कि इस पर अब बहस करने का कोई मतलब नहीं है; हसीना जा चुकी हैं और यह सच है। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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