दुनियाभर में किरकिरी, अपनों ने दिया दगा; अब छिन जाएगा ताज भी? अधर में लटकी जस्टिन ट्रूडो की किस्मत
- अपनी ही पार्टी लिबरल पार्टी में ट्रूडो को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के कई सांसदों ने खुलकर उनके इस्तीफे की मांग की है।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का राजनीतिक भविष्य अब अधर में लटका हुआ है। देश और विदेश में लगातार बढ़ते दबावों के बीच उनकी सबसे वरिष्ठ मंत्री और एक समय की घनिष्ठ सहयोगी क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देकर ट्रूडो के नेतृत्व को झटका दे दिया है। फ्रीलैंड ने सरकारी खर्चों पर असहमति और कनाडा के भविष्य को लेकर अलग दृष्टिकोण का हवाला देते हुए उन्होंने यह बड़ा कदम उठाया। ट्रूडो और फ्रीलैंड के बीच मतभेद तब खुलकर सामने आए जब अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडाई उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने का संकेत दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर झटके का कारण बन सकती है।
अपनों के निशाने पर ट्रूडो
अपने ही दल, लिबरल पार्टी में ट्रूडो को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के कई सांसदों ने खुलकर उनके इस्तीफे की मांग की है। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने भी ट्रूडो के पद छोड़ने का आह्वान करते हुए यह संकेत दिया है कि अगर वह अगले साल भी प्रधानमंत्री बने रहते हैं तो उनकी पार्टी ट्रूडो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी।
संसद में अविश्वास और राजनीतिक विकल्प
संसद में ट्रूडो के लिए अविश्वास प्रस्ताव सबसे बड़ा खतरा है। हालांकि, वर्तमान में विपक्ष के पास ट्रूडो की सरकार गिराने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं है। इसके बावजूद, ट्रूडो के नेतृत्व को बचाने के लिए उन्हें न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी और ब्लॉक क्यूबेकुइस का समर्थन बरकरार रखना होगा।
इस सियासी संकट को देखते हुए ट्रूडो के पास कुछ विकल्प हैं। वह या तो संसद स्थगित कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने 2020 में एक घोटाले के समय किया था या फिर इस्तीफा देकर अपने उत्तराधिकारी को नेतृत्व सौंप सकते हैं। हालांकि, इन तमाम मुश्किलों के बावजूद, ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के नेता के तौर पर अगले आम चुनाव में हिस्सा लेने का स्पष्ट संकेत दिया है। मगर जनमत सर्वेक्षणों ने ट्रूडो की सिरदर्दी बढ़ा रखी हैं। कई सर्वे के अनुसार, अगर अभी चुनाव हुए तो विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को बड़ी जीत मिल सकती है। ऐसे में ट्रूडो के लिए अगला कदम उनकी किस्मत का फैसला करेगा।
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