'किताबों की वजह से भड़क रही हिंसा', इजरायली पुलिस ने बुकशॉप पर मारी रेड; मालिक गिरफ्तार
- रिपोर्ट के अनुसार, किताबों की दुकान के मालिकों अहमद और महमूद मुना को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने दुकान को बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही, संघर्ष से संबंधित सैकड़ों पुस्तकें जब्त कर ली गईं।
इजरायली पुलिस ने पूर्वी यरुशलम में फिलिस्तीनियों के मालिकाना वाली किताबों की दुकान पर छापा मारा। इस दौरान दशकों पुराने संघर्ष को लेकर लिखी गईं किताबें जब्त कर ली गईं और मालिकों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस का दावा है कि ये किताबें हिंसा भड़काने वाली हैं। 40 साल पहले पूर्वी येरुशलम में एजुकेशनल बुकशॉप खोली गई जिसे बौद्धिक जीवन का केंद्र माना जाता रहा। इजरायल ने 1967 के मध्यपूर्व युद्ध के दौरान इस पर कब्जा कर लिया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता तो नहीं मिली मगर उसने इसे अपनी राजधानी में शामिल कर लिया।
शहर की ज्यादातर फिलिस्तीनी आबादी पूर्वी येरुशलम में रहती है। फिलिस्तीन के लोग इसे भविष्य में अपने स्टेट की राजधानी बनाना चाहते हैं। जिस तीन मंजिला दुकान पर छापा मारा गया, उसमें संघर्ष और मध्य पूर्व के बारे में अरबी व अंग्रेजी में किताबों का भंडार है। इनमें कई इजरायली और यहूदी लेखकों की किताबें भी शामिल हैं। यह स्थल सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी करता रहा है। शोधकर्ताओं, पत्रकारों और विदेशी राजनयिकों के बीच यह काफी लोकप्रिय भी है।
‘उन्हें किताबों के टाइटल का मतलब भी नहीं पता’
रिपोर्ट के अनुसार, किताबों की दुकान के मालिकों अहमद और महमूद मुना को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने दुकान को बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही, संघर्ष से संबंधित सैकड़ों पुस्तकें जब्त कर ली गईं। महमूद की पत्नी ने कहा कि सैनिकों ने फिलिस्तीनी टाइटल या झंडों वाली किताबें उठाईं। उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि आखिर इनका क्या मतलब है। वे लोग इन किताबों को प्लास्टिक की थैलियों में भरने लगे। इससे पहले वे अरबी शीर्षक वाली किताबों का गूगल के जरिए अनुवाद भी कर रहे थे। वे पता लगाना चाहते थे कि आखिर इसका मतलब क्या है। दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि आतंकवाद के लिए उकसावे और समर्थन वाली किताबें बेचने के संदेह में गिरफ्तारियां की गई हैं।
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