ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह करेगा इजरायल, डोनाल्ड ट्रंप की नसीहत भी जाएगी बेकार: रिपोर्ट
- तीसरे विश्व युद्ध तक का खतरा पैदा हो सकता है। 2024 में ईरान और इजरायल कई बार आमने-सामने आए और जंग की आशंका भी पैदा हुई, लेकिन दोनों तरफ से कुछ हमलों के बाद ही स्थिति थम गई। अब यदि परमाणु ठिकानों पर हमले हुए तो फिर हालात बेकाबू भी हो सकते हैं।
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इस साल की शुरुआत इजरायल और हमास के बीच सीजफायर से हुई है तो वहीं रूस और यूक्रेन के बीच भी जंग थामने के प्रयास हो रहे हैं। लेकिन कभी भी जंग एक बार फिर से बड़ा मोड़ ले सकती है। इसकी आशंका अमेरिकी खुफिया विभाग की रिपोर्ट्स में जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल की ओर से ईरान के परमाणु ठिकानों पर इस साल हमला किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो मध्य पूर्व में एक बड़ी जंग हो सकती है। इसके अलावा तीसरे विश्व युद्ध तक का खतरा पैदा हो सकता है। 2024 में ईरान और इजरायल कई बार आमने-सामने आए और जंग की आशंका भी पैदा हुई, लेकिन दोनों तरफ से कुछ हमलों के बाद ही स्थिति थम गई। अब यदि परमाणु ठिकानों पर हमले हुए तो फिर हालात बेकाबू भी हो सकते हैं।
सीएनएन के अनुसार इजरायल की मिलिट्री का रुख डोनाल्ड ट्रंप से अलग है। डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि इजरायल और ईरान के बीच शांति समझौता हो जाए, लेकिन इजरायल ऐसा नहीं चाहता। उसका टारगेट है कि इजरायल की परमाणु क्षमता को समाप्त कर दिया जाए। इसके अलावा देश में सत्ता परिवर्तन भी करा दिया जाए। माना जा रहा है कि ईरान में सत्ता परिवर्तन के लिए इजरायल की तरफ से फंडिंग भी की जा सकती है और पॉलिटिकल वारफेयर हो सकता है। इससे पहले भी इजरायली सुरक्षा बलों ने ईरान के मिलिट्री ठिकानों पर हमले किए थे। हालांकि अब नए हमले पहले से ज्यादा सख्त हो सकते हैं। इस बार इजरायल की तरफ से ईरान के परमाणु ठिकानों पर ही हमला किया जा सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार ईरान की सत्ता पर वर्तमान राष्ट्रपति की पकड़ कमजोर है। ऐसे में कमजोर सत्ता के दौरान उस पर हमला करना आसान होगा। वहीं अमेरिका की ओर से आर्थिक पाबंदियों के चलते भी ईरान कमजोर हुआ है। एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से सीएनएन ने लिखा है कि यदि इजरायल चाहता है कि वह ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दे तो वह अमेरिकी सेना की मदद के बिना ऐसा नहीं कर सकता। अमेरिकी अफसर ने कहा, ‘यदि इजरायल चाहता है कि ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया जाए तो इसके लिए उसे अमेरिका की हवा में ही तेल भर सकने वाले फाइटर जेट्स और बंकरों तक को तबाह कर देने वाले बमों की जरूरत होगी।’
हालांकि इजरायल ऐसा करता है तो उसका रुख अमेरिका की पूर्व की बाइडेन सरकार और मौजूदा ट्रंप प्रशासन से अलग होगा। डोनाल्ड ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि वह मिलिट्री ऐक्शन पर कूटनीति को प्राथमिकता देंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, 'मैं ईरान के साथ डील करना चाहता हूं। मैं बमबारी से ज्यादा यह चीज पसंद करूंगा।' हालांकि विश्लेषकों का यह भी मानना है कि इजरायल के दबाव में अमेरिका का रुख बदल सकता है। ऐसा पहले भी कई मौकों पर हुआ है।
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