कनाडा से चीन भी हुआ खफा; संगठनों और नागरिकों पर लगा दिया बैन, क्या वजह
- China angry with Canada: चीन सरकार ने कनाडा के कुछ संगठनों और व्यक्तियों पर आंतरिक मामलों में हस्ताक्षेप के आरोप लगाकर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन का आरोप है कि इन लोगों ने उइगर और तिब्बत के मामलों में दखलअंदाजी की है।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए हालात ठीक होते नजर नहीं आ रहे हैं। विदेश नीति में बैकफुट पर जा रहे कनाडा को अब चीन ने भी झटका दिया है। चीन ने रविवार को घोषणा की कि कनाडा के दो संगठनों और 20 लोगों पर उइगर और तिब्बत से संबंधित मामलों में शामिल होने के लिए प्रतिबंध लगा रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने अपनी बेवसाइट पर कहा कि इन नागरिकों और संगठनों पर यह प्रतिबंध शनिवार से ही प्रभावी हो गया है। इन प्रतिबंधों के तहत चीन ने इन संगठनों की चल और अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया है, जबकि उन नागिरकों के चीन में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया है। इन प्रतिबंधों में शामिल 15 लोग उइघुर समूह के मामलों से जुड़े हुए थे जबकि 5 लोग तिब्बत समूह के लिए काम कर रहे थे।
कनाडा के यह संगठन लगातार चीनी सरकार के खिलाफ इन क्षेत्रों में अत्याचार करने का आरोप लगा रहे थे। इनका आरोप था कि उइगरों के इलाकें शिनजियांग में चीनी सरकार ने करीब 10 लाख अल्पसंख्यक मुस्लिमों को हिरासत में ले रखा है और इन बंदियों से जबरन श्रम करवाया जाता है। इन्हें राजनीतिक शिक्षा के अलावा कई बार यौन शोषण का भी शिकार बनाया जाता है।बीबीसी की की एक रिपोर्ट के मुताबिक उइगर मुस्लिमों की आबादी को कम करने के लिए चीनी सरकार इस क्षेत्र में जबरन नसबंदी कर रही है।
शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर चीनी सरकार के अत्याचारों की खबरें लगातार बाहर आती रहती हैं। मानवाधिकार संगठन लगातार इसके लिए चीनी सरकार पर आरोप लगाते रहते हैं लेकिन चीन सरकार इसे आंतरिक मामला बताती है। जहां तक तिब्बत क्षेत्र का मामला है तो चीन ने 1950 में तिब्बती क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। चीन यहां पर लगातार लोगों को अपने हिसाब से चलाने के लिए दमनकारी नीतियां का सहारा लिया। वैश्विक मानवाधिकार संगठन आज भी इसके लिए चीनी सरकार की कड़ी आलोचना करते हैं।
चीनी सरकार पर तिब्बती बौद्ध नेताओं के चयन सहित धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप करने और इन नीतियों के खिलाफ बोलने वाले तिब्बती कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने का भी आरोप लगाया गया है। कनाडाई संगठनों के संबंध में चीन के कदम को उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड की अंतरराष्ट्रीय आलोचना के खिलाफ एक जवाबी कदम के रूप में देखा जाता है, जिसे बीजिंग ने बार-बार अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में खारिज कर दिया है।
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