पुतिन जिसे मान रहे अपना ‘प्रिय दोस्त’, उसी ने दे दी नई टेंशन; यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को बड़ा झटका
बड़ी बात यह है कि तुर्की के राष्ट्रपति का यह बयान तब आया है, जब रूस ने जंग में मध्यस्थता के लिए भारत, चीन और ब्राजील का नाम लिया है। इसलिए, एर्दोगान की टिप्पणी से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को झटका लगा है। माना जा रहा है कि पुतिन अपने दोस्त के इस बयान से नाराज हो सकते हैं।
रूस और तुर्की के बीच लंबे समय से मधुर संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार और पर्यटन समेत कई क्षेत्रों में निकटता देखी गई है। हालांकि, शीतयुद्ध के बाद 1952 में तुर्की के नाटो में शामिल होने पर रूस के साथ सामरिक संबंध संवेदनशील रहे हैं। बावजूद इसके तु्र्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच दोस्ती बरकरार है। अतीत में कई मौकों पर पुतिन एर्दोगान को अपना प्रिय मित्र बता चुके हैं लेकिन उसी दोस्त ने अब प्रिय दोस्त को बड़ी टेंशन दे दी है।
दरअसल, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगान ने पिछले ढाई साल से यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस को झटका देते हुए कहा है कि क्रीमिया का इलाका यूक्रेन को वापस लौटा देना चाहिए। बुधवार को चौथे क्रीमिया प्लेटफ़ॉर्म लीडर्स समिट में एक वीडियो संदेश में एर्दोगान ने कहा, "यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए हमारा समर्थन अटूट है।" तुर्की की सरकारी एजेंसी अनादोलु मुताबिक, एर्दोगान ने कहा कि क्रीमिया को यूक्रेन को वापस किया जाना अंतर्राष्ट्रीय कानून की जरूरत है।
बड़ी बात यह है कि तुर्की के राष्ट्रपति का यह बयान तब आया है, जब रूस ने जंग में मध्यस्थता के लिए भारत, चीन और ब्राजील का नाम लिया है। इसलिए,एर्दोगान की टिप्पणी से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को झटका लगा है। माना जा रहा है कि पुतिन अपने दोस्त के इस बयान से नाराज हो सकते हैं। रूस ने मार्च 2014 में यूक्रेन के पूर्वी इलाके क्रीमिया के काला सागर प्रायद्वीप वाले भाग पर कब्जा कर लिया था और वहां जनमत संग्रह कराया था। क्रीमिया के 90 फीसदी लोगों ने रूस की कार्रवाई का समर्थन किया था लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने जनमत संग्रह को अवैध माना था। पूर्वी यूरोप में क्रीमिया काला सागर पर एक प्रायद्वीप है। वहां करीब 25 लाख लोग रहते हैं।
बड़ी बात ये है कि ढाई साल पहले जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था, तब भी तुर्की ने रूस के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे और रूस पर लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का विरोध किया। लगे हाथ तुर्की ने यूक्रेन को इसी जंग में सशस्त्र ड्रोन भी भेजे हैं ताकि रूस पर हमला कर सके। तुर्की ने पड़ोसी देश पर आक्रमण करने के रूस के निर्णय की निंदा भी की है। एर्दोगान ने अपने वीडियो संबोधन में कहा कि तुर्की हमेशा से रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने का विरोध करता रहा है। उन्होंने 2014 से क्रीमिया के जातीय तातारों के उत्पीड़न की भी निंदा की है।
इस बीच, यूक्रेन ने बार-बार कहा है कि चल रहे युद्ध में रूस के साथ किसी भी शांति समझौते पर तभी पहुंच सकता है, जब क्रीमिया प्रायद्वीप को यूक्रेन का हिस्सा माना जाना जाएगा और सितंबर 2022 में उसके चार क्षेत्रों- लुहांस्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया के रूस में विलय को अमान्य घोषित किया जाएगा। दूसरी तरफ पुतिन ने कहा है कि इन क्षेत्रों पर रूसी कब्जा स्वीकार करने के बाद ही शांति वार्ता शुरू हो सकती है। बता दें कि तुर्की के राष्ट्रपति ने 2020 में भी यूक्रेनी राष्ट्रपति के साथ एक प्रेस वार्ता में कहा था कि वह क्रीमिया के रूस में विलय की मान्यता नहीं दे सकते।
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