यूक्रेन के बाद पुतिन का अगला टारगेट कौन, बाल्टिक देशों में क्यों मची है खलबली
अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी मिसाइल बल फिनलैंड की दक्षिणी और दक्षिणपूर्वी तटरेखाओं को भी निशाना बना सकते हैं।
रूस-यूक्रेन के बीच पिछले करीब तीन साल से युद्ध जारी है। रूस यूक्रेन पर खतरनाक मिसाइलों और ड्रोनों से ताबड़तोड़ हमले कर रहा है और भीतरी इलाके तक यूक्रेनी ठिकानों को ध्वस्त कर रहा है। इस बीच उत्तरी यूरोप के देश और रूस के पश्चिमी पड़ोसी देश फिनलैंड और उसके पड़ोसी देशों को रूसी हमले का खतरा सता रहा है। फिनलैंड के अखबार 'इल्तालेहटी' ने कथित तौर पर सरकारी रक्षा रिपोर्ट और नाटो सूत्रों के हवाले से खुलासा किया है कि रूस फिनलैंड समेत अन्य बाल्टिक देशों और उसके आस-पास के देशों पर हमले शुरू करने की योजना बना रहा है। नाटो सूत्रों ने सदस्य देशों को मास्को के इन इरादों के प्रति खबरदार किया है और खास चेतावनी दी है। हालांकि, ये हमले कब तक हो सकते हैं, इस बारे में कोई स्पष्ट समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया है।
रिपोर्ट में रूस के पिछले पिछले सैन्य अभ्यासों का हवाला देते हुए कहा गया है कि मॉस्को ने 2017 में जैपैड सैन्य अभ्यास किया था। इस दौरान पुतिन की सेना ने नॉर्वे, फिनलैंड और बाल्टिक देशों पर हमलों का छद्म अभ्यास किया था। फिनिश अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने अपनी आक्रमण योजनाओं को अब तक नहीं छोड़ा है और इस बात की आशंका है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त होने के बाद रूस पश्चिमी किनारे पर बसे दूसरे देशों को अपना अगला टारगेट बना सकता है।
एकसाथ हमले बोल सकता है रूस
अखबार ने नाटो सूत्रों के हवाले से ये भी लिखा है कि रूस नाटो के सदस्य देशों के पूर्वी हिस्से पर एकसाथ हमले की योजना बना सकता है। इसमें रूस की 14वीं सेना कोर शामिल हो सकती है जो समुद्र, जमीन और हवा से मरमंस्क से नॉर्वे के तट की ओर बढ़ रही है। इसके अलावा, रूस इवालो हवाई अड्डे पर कब्जा करने के लिए लैपलैंड (फिनलैंड का सबसे उत्तरी क्षेत्र) में सेना तैनात कर सकता है, और कोला प्रायद्वीप पर तैनात रूसी मिसाइल बल संभावित रूप से फिनलैंड को निशाना बना सकते हैं।
बफर जोन बनाने की रणनीति
अखबार ने ये भी कहा है कि रूस भविष्य में उत्तरी फिनलैंड और नार्वे में एक बफर जोन बनाने की रणनीति पर भी काम कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी मिसाइल बल फिनलैंड की दक्षिणी और दक्षिणपूर्वी तटरेखाओं को भी निशाना बना सकते हैं। उसी समय, मॉस्को की छठी सेना बाल्टिक देशों एस्टोनिया और लातविया की राजधानियों और जॉर्जिया पर हमला करके उन्हें तोड़ने की कोशिश कर सकती है। रिपोर्ट में एक अन्य बाल्टिक देश लिथुआनिया पर भी खतरे के संकेत दिए हैं क्योंकि रूस कलिनिनग्राद और बेलारूस के बीच एक भूमि गलियारे की स्थापना करना चाहता है और इसके लिए बेलारूस को एक मार्ग के रूप में उपयोग करने की कोशिश में है।
आर्कटिक से भूमध्यसागर तक है नजर
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस की यह कोशिश संभावित रूप से सुवालकी कॉरिडोर पर कब्जा करने की है, जो नाटो की रक्षा रणनीति का अहम केंद्र रहा है। फिनिश सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की यह सुरक्षा रणनीति आर्कटिक से भूमध्यसागर तक बाल्टिक सागर और काला सागर को घेरते हुए एक बफर जोन बनाने की इच्छा से प्रेरित है। यूरेशियन टाइम्स के मुताबिक, स्वीडन के सशस्त्र बलों के पूर्व प्रमुख मिकेल बायडेन ने टिप्पणी की है कि रूस का दीर्घकालिक लक्ष्य बाल्टिक सागर पर नियंत्रण स्थापित करना हो सकता है। रिपोर्ट के जवाब में, फिनलैंड के रक्षा बलों ने कहा कि सैन्य अभ्यास किसी भी सेना के संचालन का एक सामान्य हिस्सा है और उसे संभावित हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
बहरहाल, ध्यान देने वाली और डराने वाली बात यह भी है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने लंबे समय से अपने पुराने और ऐतिहासिक क्षेत्रों को फिर से हासिल करने की अपनी मंशा और अपने दृष्टिकोण को कई बार स्पष्ट किया है, जिसमें 17 वीं शताब्दी का रूसी साम्राज्य उनकी आकांक्षाओं के लिए एक मॉडल स्टेट है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।