क्यों हो रहा शिमला के हैरिंग्टन एस्टेट के बंगला नं. 3 पर बवाल, HC को कहना पड़ा- 10 दिन में चाबियां हमें सौंपे
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस रंजन शर्मा की खंडपीठ ने पिछले आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा था कि न्यायाधीशों के लिए आवंटित आवासीय स्थान को कैसे एक पत्रकार को सौंपा गया।

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इन दिनों एक बंगले को लेकर सरकार और कोर्ट के बीच कश्मकश चल रही है। इस मामले को लेकर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए उसे निर्देश दिया है कि वह शिमला के हैरिंग्टन एस्टेट में बंगला नंबर 3 को खाली करवाए और 10 दिनों के भीतर इसकी चाबियां कोर्ट को सौंपे। हाई कोर्ट ने कहा कि शिमला के हैरिंग्टन एस्टेट में बंगला विशेष रूप से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए हैं और इसे किसी और को आवंटित नहीं किया जा सकता।
सरकार की ओर से पेश हलफनामे में कहा गया है कि हैरिंग्टन शिमला स्थित मकान नंबर 3 टाइप-फोर बंगला पीसी गुप्ता अतिरिक्त निदेशक पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और मुख्य अभियंता हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शिमला के कब्जे में है। उसे खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं। सरकार की ओर से बताया गया है कि दो सप्ताह के भीतर मकान का कब्जा इस न्यायालय को दे दिया जाएगा।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस रंजन शर्मा की खंडपीठ ने पिछले आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा था कि न्यायाधीशों के लिए आवंटित आवासीय स्थान को एक पत्रकार को कैसे सौंप दिया गया। उच्च न्यायालय के महापंजीयक ने प्रधान सचिव (GAD) को एक पत्र के माध्यम से मकान को खाली करने के लिए कहा था। इसके बावजूद उक्त बंगला खाली नहीं किया गया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि हैरिंग्टन एस्टेट में छह बंगले विशेष रूप से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए बनाए गए थे। बंगला नंबर 3 पीसी गुप्ता के कब्जे में है और इससे पहले यह उनकी पत्नी रचना गुप्ता को आवंटित किया गया था, जो हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की सदस्य थीं और हिमाचल प्रदेश की राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 28 मई को सूचीबद्ध किया गया है।
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