लोकसभा चुनाव में हार के बाद हरियाणा का रण होगा भीषण? BJP के सामने क्या-क्या चुनौतियां
हरियाणा में विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं, ताकि जनता के साथ संवाद बरकरार रहे और विधानसभा में इसका फायदा पार्टी को हो।
हरियाणा में इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की पटकथा हाल ही में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर लिखी जा रही है। इस पर तेजी से काम शुरू हो गया है। राजनीतिक दल जहां चुनाव जीतने के लिए रणनीति बना रहे हैं। वहीं, इस सियासी दंगल में उतरने वाले नेता अपनी टिकट पक्की करने के लिए भागदौड़ में जुट गए हैं। रविवार को एनडीए सरकार का गठन होने के बाद राजनीतिक गतिविधियां और अधिक बढ़ जाएंगी।
पार्टी के उम्मीदवार को कम मत मिलना बना सिरदर्द : लोकसभा चुनाव में बेशक भाजपा उम्मीदवार की जीत हो गई है, लेकिन तीन विधानसभाओं में पार्टी उम्मीदवार की हार और जिन सात विधानसभाओं में जीत दर्ज की है, वहां पिछले चुनाव के मुकाबले काफी कम मत मिलना भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन गया है। खासतौर से जो भाजपा नेता इस साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, उनके लिए भी यह नतीजे सिरदर्द बन गए हैं। दस लाख पार के नारे को पूरा करने के लिए जिन नेताओं ने अपने विधानसभा हल्के में ज्यादा से ज्यादा मत दिलवाने का दम भरा था, अब ऐसा वादा उनके गले की फांस बन गया है।
दो विधानसभा तो ऐसी हैं, जहां भाजपा के विधायक हैं, जबकि एक विधानसभा ऐसी है, जहां निर्दलीय विधायक है और उन्होंने भाजपा को अपना समर्थन दिया हुआ है। भाजपा के अलावा कांग्रेस के नेताओं की भी कमोबेश ऐसी ही हालत है। खासतौर पर एनआईटी फरीदाबाद विधानसभा से कांग्रेस के विधायक को काफी कम मत मिले हैं, जबकि इस विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं। बाकी आठ विधानसभा में भी कांग्रेस के पूर्व विधायक या पूर्व विधायक के परिजन टिकट की कतार में हैं।
राजनीतिक गतिविधियों को तेज किया जा रहा
हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं, ताकि जनता के साथ संवाद बरकरार रहे और विधानसभा में इसका फायदा पार्टी को हो। जिला पलवल के गदपुरी टोल पर कांग्रेस की रविवार को होने वाली धन्यवाद सभा के आयोजन को भी इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र प्रताप को जिला पलवल से काफी वोट मिले थे। इनकी बदौलत उन्होंने तीन विधानसभाओं में जीत दर्ज की थी। राजनीति के जानकारों का कहना है कि उपरोक्त सभा के जरिये कांग्रेस अपने मतदाताओं को जोड़कर रखना चाहती है।
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