पिता की थी चाय की दुकान, मंगेश ने मेहनत और लग्न से पाई UPSC में 396 रैंक
यूपीएससी सिविल सर्विस पास करने वाले अभ्यार्थियों की सफलता के पीछे सिर्फ उनकी सालों की मेहनत ही नहीं होती बल्कि वे इस एग्जाम को पास करने के लिए सब्र, जुनून, इमोशन, सहनशीलता सब कुछ इंवेस्ट करते हैं। सक्
यूपीएससी सिविल सर्विस पास करने वाले अभ्यार्थियों की सफलता के पीछे सिर्फ उनकी सालों की मेहनत ही नहीं होती बल्कि वे इस एग्जाम को पास करने के लिए सब्र, जुनून, इमोशन, सहनशीलता सब कुछ इंवेस्ट करते हैं। सक्सेस को पाने के लिए कोई सिंगल फार्मूला नहीं है। इसी क्रम में आज हम बात कर रहे हैं मंगेश खिलाड़ी की। मंगेश के पिता एक चाय की दुकान चलाते हैं और अपना कॉलेज खत्म करने के बाद ही मंगेश ने चाय की दुकान में अपने पिता का हाथ बटाना शुरु कर दिया। मंगेश ने पहले प्रयास में असफलता का स्वाद चखा, इसके बाद अगली बार तीन प्वाइंट्स से रैंक पाने में पीछ रह गए, लेकिन तीसरी बार में उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में 396 रैंक हासिल की। इससे पहले दो बार वो इंटरव्यू राउंड तक पहुंच पाए थे।
चाय में दुकान में काम करते हुए भी मंगेश ने अपने सपनों की उड़ान को नहीं रोका। सूकेवाड़ी गांव से मंगेश 10वीं पास करके संगमनेर तालुका आ गए। इसके बाद पॉल साइंस में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए पुणे आ गए। पिछले साल से मंगेश पुणे में रहकर ही तैयारी कर रहे थे। अपनी सक्सेस पर बात करते हुए मंगेश कहते हैं कि उन्हें उनके पिता का बहुत सपोर्ट मिला, जिसकी वजह से वो इस मुकाम तक आ पहुंचे। मंगेश का कहना है कि उसके दो सपने थे पहला वो आईआईटी जाना चाहते थे और दूसरा यूपीएससी की परीक्षा देकर अधिकारी बनना चाहते थे। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वो आईआईटी का सपना छोड़कर बड़ी लगन और मेहनत से यूपीएससी की तैयारी करने लगे।
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