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BPSC Toppers tips: किसी ने खुद की पढ़ाई का पैटर्न बनाया, किसी ने करंट टॉपिक पर दिया ध्यान, आपके भी काम आएंगे इन toppers के टिप्स

bpsc toppers :मेंस के लिए राइटिंग प्रैक्टिस पर फोकस रखा। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाली रिया कहती हैं कि पिता मनोज कुमार और मां सिंधु का पूरा मार्गदर्शन और सहयोग मिला। सिलेबस में बदलाव हुआ

Anuradha Pandey हिन्दुस्तान टीम, मुजफ्फरपुरWed, 17 Jan 2024 07:41 AM
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BPSC result: बीपीएससी के रिजल्ट में जिले के अभ्यर्थियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। चन्द्रहट्टी की रिया को 55वीं रैंक मिली है। आनंद सौरभ को 101वीं, नीलमणि कुमार को 113वीं, खबड़ा के मयंक कश्यप को 133वीं, पारू के श्रेयांस को 137वीं रैंक मिली है। बिग बॉस फेम सिंगर दीपक ठाकुर की बहन ज्योति ने 143वीं रैंक हासिल की है। बेरई के अंकेश 151वीं रैंक पाने में कामयाब रहे हैं। इन अभ्यर्थियों ने लगातार प्रयास और मेहनत से सफलता का परचम लहराया है।

करेंट टॉपिक पर दिया ध्यान रिया
रिया ने तीसरे प्रयास में 55वीं रैंक पायी है। वह बताती हैं कि पिछले साल के प्रश्नों को मैंने ध्यान से देखा और उन्हें हल किया। करेंट टॉपिक पर ध्यान दिया। मेंस के लिए राइटिंग प्रैक्टिस पर फोकस रखा। पिता मनोज कुमार और मां सिंधु का पूरा मार्गदर्शन मिला। मेंस के लिए राइटिंग प्रैक्टिस पर फोकस रखा। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाली रिया कहती हैं कि पिता मनोज कुमार और मां सिंधु का पूरा मार्गदर्शन और सहयोग मिला। सिलेबस में बदलाव हुआ है। ऐसे में तैयारी सही दिशा में होनी चाहिए।

17 साल नेवी में रहे आनंद को 101वीं रैंक
17 साल नेवी की नौकरी के बाद जिले के आनंद सौरभ ने 101वी रैंक पायी है। इससे पहले वे सीएजी में ऑडिटर पद पर भी रह चुके हैं। आनंद ने बताया कि 2022 में नेवी से रिटायरमेंट लिया। नौकरी के साथ पढ़ाई जारी रखी। उसी का नतीजा है यह रिजल्ट।

नीलमणि कुमार को मिली 113वीं रैंक
नीलमणि कुमार ने 113वीं रैंक हासिल की है। रेवन्यू ऑफिसर के पद पर चयन हुआ है। पिता उमेश कुमार बीएसएफ में अधिकारी हैं। नीलमणि ने बताया कि सफलता के लिए दृढ़ निश्चयी होना जरूरी है। ऐसा हो गया तो

पारू के श्रेयांस ने पहली बार में ही 137वीं रैंक के साथ मारी बाजी

पारू की चांदकेवरी पंचायत के पूर्व मुखिया विनोद साह के पुत्र श्रेयांस को 137वीं रैंक मिली है। फायर अफसर के तौर पर चयनित किये गये हैं। पिता ने बताया कि उनकी प्रारंभिक पढ़ाई हिमाचल प्रदेश से हुई। फिर बोकारो से बारहवीं और चंडीगढ़ में कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया। वर्तमान में दिल्ली स्थित एक कोचिंग संस्थान से जुड़े थे। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। पहली बार में ही उन्होंने यह सफलता पायी है। इससे पहले सात बार सीडीएस की परीक्षा में बैठ चुके हैं। श्रेयांस के चयनित होने से गांव और रिश्तेदारों में खुशी की लहर है।

मयंक ने दूसरे प्रयास में पाई सफलता
खबड़ा के मयंक कश्यप को 133वीं रैंक मिली है। दूसरे प्रयास में उन्होंने सफलता पाई है। मयंक बताते हैं कि उन्होंने भोपाल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। मां अनुपमा विशिष्ठ दत्तक केंद्र में कर्मी हैं। मयंक ने मां और पिता उदयशंकर शर्मा को प्रेरणाश्रोत बताया। उनका चयन सप्लाई इंस्पेक्टर के तौर पर हुआ है। वह कहते हैं कि जो छात्र तैयारी कर रहे हैं उन्हें सफलता के लिए एकाग्रता बनाये रखनी चाहिए। उन्होंने इसे सबसे जरूरी बताया।

खुद की पढ़ाई का पैटर्न बनाएं ज्योति
आथर गांव की ज्योति को 143वीं रैंक मिली है। कहती हैं कि दूसरे प्रयास में सफलता मिली है। पहले प्रयास में एक अंक से चूक गई थी। जरूरत है कि पढ़ाई का हम एक पैटर्न बनाएं। पिता पंकज ठाकुर किसान हैं और मां मीरा कुमारी एएनएम के पद पर हैं। बेटी की सफलता पर माता-पिता और भाई दीपक ठाकुर कहते हैं कि ज्योति ने अपनी सफलता से यह बता दिया कि हिम्मत और मेहनत से सबकुछ संभव है।

खुद को लोगों से रखा दूर अंकेश
बेरई के मनकी निवासी अंकेश को 151वीं रैंक मिली है। अंकेश बताते हैं कि उन्होंने पढ़ाई के लिए ऑनलाइन का सहारा लिया। खुद को लोगों से दूर रखा। एक कमरे में ही आइसोलेट कर लिया। किसान पिता सुरेश पांडे और मां मालती देवी का पूरा सहयोग मिला। तैयारी में महत्वपूर्ण टिप्स है- समय की पहचान। यह मेरा तीसरा प्रयास था। सेल्फ स्टडी ही की। मनकी से ही 12वीं तक की पढ़ाई की और पटना से बीटेक किया। करेंट टॉपिक के लिए अखबार का सहारा लिया। अंकेश कहते हैं कि किसान पिता सुरेश पांडे और मां मालती देवी का पूरा सहयोग मिला।

282वीं रैंक वाले प्रशांत कहते हैं- लगन और मेहनत सबसे जरूरी

गायघाट के धोबौली निवासी प्रशांत कुमार ने तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की है। प्रशांत कहते हैं कि लगन व परिश्रम से कोई भी सफलता हासिल की जा सकती है। इससे पहले दो बार इंटरव्यू में असफल रहे थे। इसबार 282वीं रैंक मिली है। प्रखंड कल्याण पदाधिकारी बनाए गए हैं। प्रशांत कुमार ने सफलता का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को दिया है। मां गृहणी व पिता रामप्रवेश सहनी धोबौली हाईस्कूल के प्राचार्य हैं। प्रशांत ने शिक्षा गांव से ही प्रारंभ की। जवाहर नवोदय विद्यालय वैशाली से दसवीं पास की। नोएडा से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। दिल्ली में सिविल सेवा की तैयारी की।

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