JEE Main की तैयारी कर रहे सैंकड़ों छात्र मुश्किल में, 5 लाख फीस लेकर FIITJEE कोचिंग सेंटर बंद
- गाजियाबाद में चल रहे एक फिटजी (FIITJEE) कोचिंग सेंटर के अचानक बंद हो जाने से 800 छात्र मुश्किल में हैं। जेईई मेन की तैयारी कर रहे इन छात्रों ने 3.5 से 5 लाख तक एडवांस दिए थे।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में चल रहे एक फिटजी (FIITJEE) कोचिंग सेंटर के अचानक बंद हो जाने से 800 छात्र व उनके पेरेंट्स मुश्किल में फंस गए हैं। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई मेन की तैयारी कर रहे इन छात्रों ने लाखों रुपये की एडवांस फीस जमा कराई गई थी। फिटजी कोचिंग सेंटर के चार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि यह सेंटर बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चल रहा था और अचानक बंद हो गया। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा से कुछ ही दिनों पहले इसके बंद हो जाने से 800 से अधिक छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पुलिस ने यह कार्रवाई मंगलवार को शिक्षा विभाग की ओर से फिटजी मैनेजमेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद की। अधिकारियों के अनुसार राजनगर डिस्ट्रिक्ट सेंटर में स्थित इस कोचिंग सेंटर ने अपने 800 छात्रों में हरेक से साढ़े 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक एडवांस फीस वसूली थी। कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्र इस कोचिंग सेंटर से पढ़ाई कर इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
गाजियाबाद के जिला स्कूल इंस्पेक्टर धर्मेंद्र शर्मा ने कहा, 'एडिश्नल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (एडमिनिस्ट्रेशन) के निर्देश के बाद हमारे विभाग की टीम ने डॉक्यूमेंट चेक किए और पाया कि दिए गए पते पर फिटजी सेंटर का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। यह यूपी कोचिंग रेगुलेशन एक्ट, 2002 का स्पष्ट उल्लंघन है।'
फिटजी सेंटर सोमवार को अधिकारियों की जांच के दायरे में तब आया जब कुछ अभिभावकों ने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई कि कोचिंग संस्थान ने बिना किसी पूर्व सूचना के कक्षाएं बंद कर दी हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की गई जांच में पता चला कि अधिकांश शिक्षकों ने वेतन न मिलने के कारण इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद से छात्रों की प्रवेश परीक्षा की तैयारी में काफी दिक्कत आ रही है।
शास्त्री नगर इलाके के रहने वाले मनीष गुप्ता का 11वीं क्लास में पढ़ने वाला बेटा भी यहां से कोचिंग ले रहा था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से लेक्चर रेगुलर तौर पर नहीं चल रहे थे। उन्होंने टीओआई से कहा, 'मैंने चार साल तक फीस के तौर पर 4 लाख रुपए चुकाए। लेकिन मैनेजमेंट पिछले तीन महीनों से लगातार कक्षाएं रद्द कर रहा है। इससे मेरे बेटे की जेईई मेन की तैयारी पर बुरा असर पड़ा है। जब मैं पिछले शुक्रवार को कोचिंग सेंटर गया तो पाया कि कुछ शिक्षक वेतन न मिलने के कारण स्कूल छोड़ रहे हैं।'
एचआर कपूर, जिन्होंने पिछले साल अपने दोनों बच्चों का दाखिला कोचिंग सेंटर में कराया था, ने भी ऐसी ही चिंताएं साझा कीं। उन्होंने कहा, 'हमने 3.5 लाख रुपये एडवांस फीस दी थी। लेकिन पिछले तीन महीनों से कक्षाएं कभी होती है कभी नहीं।'
शिक्षा विभाग की ओर से सोमवार शाम कविनगर थाने में दर्ज शिकायत में कहा गया है, 'जांच से यह स्पष्ट है कि कोचिंग चलाने वाले लोगों ने अभिभावकों/बच्चों को धोखा दिया और उनसे फीस वसूली। कृपया एफआईआर दर्ज करके उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।' इसके बाद सेंटर के चार वरिष्ठ अधिकारियों चेयरपर्सन दिनेश चंद गोयल, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मनीष आनंद, ग्रुप फाइनेंशिल ऑफिसर राजीव बब्बर और सेंटर इनचार्ज आशीष गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। एक अधिकारी ने कहा, 'जांच शुरू कर दी गई है। जांच से जो चीजें पता चलेंगी उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।'
शिक्षण संस्थान के एमडी समेत तीन पर मुकदमा
गाजियाबाद के आकाश नगर में रहने वाले युवक ने एक शिक्षण संस्थान के एमडी और डीन पर बीटेक में दाखिले के नाम पर 60 हजार रुपये हड़पने का आरोप लगाया है। इस संबंध में युवक ने अदालत के आदेश पर कॉलेज के एमडी और डीन समेत तीन लोगों के खिलाफ मधुबन बापूधाम थाने में केस दर्ज कराया।
मूलरूप से बिहार के जिला सारण, धनूपुर निवासी रोहित कुमार का कहना है कि वर्तमान में वह आकाश नगर में रहते हैं। उन्होंने शैक्षिक सत्र 2023-24 में इलेक्ट्रॉनिक्स कम्यूनिकेशन ग्रेड से बीटेक करने के लिए एक इंस्टीट्यूट में संपर्क किया था। प्रवेश के संबंध में उनकी बात कॉलेज प्रबंधक और डीन से हुई। दोनों ने लेटर एंट्री के तहत बीटेक में प्रवेश के लिए 60 हजार रुपये वार्षिक फीस बताई। उन्होंने एडमिशन फार्म भरा और 24 अगस्त 2023, 11 सितंबर 2023 और नौ नवंबर 2023 को 20-20 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। आरोप है कि इसके बावजूद उन्हें कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया गया। आरोपियों ने धोखाधड़ी कर 60 हजार रुपये ठग लिए।
उन्होंने आठ अप्रैल 2024 को एसीपी को शिकायत दी और दो सितंबर 2024 को पुलिस आयुक्त कार्यालय में शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके चलते उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
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