लोकसभा में फेल साबित तेजस्वी यादव विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन की तीन सीट बचा पाएंगे?
बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। इनमें से तीन सीटें महागठबंधन के विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई हैं, जो लोकसभा चुनाव 2024 में जीतकर सांसद बन चुके हैं। अब तेजस्वी यादव के सामने इन तीनों सीटों को बचाने की चुनौती है।
बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान मंगलवार को हो सकता है। लोकसभा चुनाव में विधायकों के सांसद बन जाने से खाली हुईं तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज सीट पर अगले महीने उपचुनाव संभव है। इनमें से इमामगंज को छोड़कर बाकी तीनों महागठबंधन की सीटिंग सीटें हैं। रामगढ़ और बेलागंज आरजेडी, तो तरारी सीपीआई माले के कब्जे में थी। बिहार में महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता एवं पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की प्रतिष्ठा इस उपचुनाव में दांव पर लगी है। उनके सामने महागठबंधन की तीनों सीटें बचाने की चुनौती होगी। बता दें कि चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन को कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी थी। शाहाबाद और मगध छोड़कर राज्य के अन्य सभी इलाकों में आरजेडी, कांग्रेस और वामदलों को हार का सामना करना पड़ा था।
गया जिले की बेलागंज और कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीटें आरजेडी का गढ़ मानी जाती हैं। बेलागंज से पूर्व मंत्री सुरेंद्र यादव लगातार 6 बार से विधायक रहे। इस साल लोकसभा चुनाव में वे जहानाबाद से जीतकर संसद चले गए। वहीं, रामगढ़ सीट राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे से खाली हुई है। सुधाकर महागठबंधन सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं और अब वे बक्सर से सांसद हैं। उपचुनाव में इस सीट पर आरजेडी जगदानंद के दूसरे बेटे अजीत सिंह को प्रत्याशी बना सकती है। तेजस्वी के सामने अपनी पार्टी की ये दोनों सीटें बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है।
लेफ्ट की सीट बचा पाएंगे तेजस्वी?
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सामने आरजेडी ही नहीं, बल्कि लेफ्ट पार्टी सीपीआई माले का गढ़ बचाने की भी चुनौती है। भोजपुर जिले की तरारी से सीपीआई माले के विधायक रहे सुदामा प्रसाद आरा से सांसद बन गए हैं। उनके इस्तीफे से खाली हुई तरारी सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं।
मांझी के गढ़ में सेंध मार पाएंगे तेजस्वी?
बिहार में उपचुनाव वाली चौथी सीट गया जिले की इमामगंज विधानसभा पर बीते दो बार से हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतनराम मांझी का कब्जा है। मांझी अब गया लोकसभा से जीतकर सांसद एवं केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं। उनके इस्तीफे से खाली हुई इमामगंज सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं। मांझी अपनी सीट से उपचुनाव में किसे प्रत्याशी बनाएंगे यह अभी तय नहीं हुआ है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यहां हम का मुकाबला आरजेडी से होगा। तेजस्वी के सामने मांझी के हाथ से उनका गढ़ छीनने की भी चुनौती है।
लोकसभा में सफल नहीं हो पाए तेजस्वी यादव
इस साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में INDIA अलायंस यानी महागठबंधन के प्रचार की कमान पूरी तरह तेजस्वी यादव ने संभाली थी। उन्होंने लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाकर दनादन चुनावी रैलियां कीं और आरजेडी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस, वीआईपी एवं वाम दलों के प्रत्याशियों के समर्थन में भी जमकर प्रचार किया था। हालांकि, उनकी मेहनत कुछ खास रंग नहीं ला पाई। बिहार की 40 लोकसभा में से 30 सीटों पर तेजस्वी के गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा। आरजेडी 23 सीटों पर लड़ी और 4 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई। वहीं, तीन सीटें कांग्रेस और दो सीपीआई माले ने जीतीं। अब तेजस्वी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बेहतर करने की कोशिश करेंगे। क्योंकि बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं।