प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में जीतने का दम या वोट बिगाड़ने का? उपचुनाव से बिहार को पता चलेगा
Bihar Bypolls Election: यूं तो माना जा रहा है कि इन सीटों पर मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच होगा लेकिन जन सुराज की एंट्री ने इस उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है। अब सवाल यह है कि क्या प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में जीतने का दम है?
Bihar Bypolls Election: बिहार में अगले साल यानी साल 2025 में विधानसभा चुनाव है। लेकिन इससे पहले राज्य की 4 विधानसभा सीटों पर इसी साल उप चुनाव होने हैं। विभिन्न राजनीतिक दल इन चारों सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर माथापच्ची कर रहे हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इन चारों सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बिहार की चार विधानसभा सीटों रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज सीट पर उपचुनाव होंगे। यूं तो माना जा रहा है कि इन सीटों पर मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच होगा लेकिन जन सुराज की एंट्री ने इस उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है। अब सवाल यह है कि क्या प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में जीतने का दम है या फिर यह नई पार्टी सिर्फ दूसरे राजनीतिक दलों का वोट ही बिगाड़ पाएगी?
प्रशांत किशोर ने क्या कहा था
प्रशांत किशोर अपनी पार्टी को लॉन्च करने से पहले ही यह ऐलान कर चुके थे कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके बाद 2 अक्टूबर को जब प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी का ऐलान किया था तब उन्होंने कहा था पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी। प्रशांत किशोर ने कहा था कि 2025 तक नहीं रुकना है। साल 2024 में ही जन सुराज पार्टी बिहार के दूसरे दलों का हिसाब कर देगी। अगर नवंबर 2024 में होने वाले उपचुनाव में जन सुराज पार्टी जीतती है तो इसका मतलब होगा कि बिहार में दूसरी पार्टियों का सफाया शुरू हो गया। इसके बाद 2025 का लक्ष्य हासिल हो जाएगा।
राजद का अभेद किला भेदने की चुनौती
रामगढ़ विधानसभा सीट की बात करें तो यह राष्ट्रीय जनता दल का एक मजबूत किला माना जाता है। राजद अध्यक्ष और दिग्गज नेताओं में शुमार जगदानंद सिंह विधायक रहे और उनके बाद भी यह सीट उनके बेटे सुधाकर सिंह के झोली में ही गई। सुधाकर सिंह ने बक्सर सीट से सांसद का चुनाव जीता था जिसकी वजह से यह सीट खाली हो गई और इसपर उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर प्रत्याशी उतारने के बाद जन सुराज पार्टी और प्रशांत किशोर को राजद की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा।
इमामगंज सीट पर 'हम' का दावा
इमामगंज सीट से जीतनराम मांझी विधायक थे। सांसद बनने के बाद यह सीट जीतनराम मांझी ने खाली थी और फिर अब यहां उपचुनाव होगा। कुछ ही दिनों पहले जीतनराम मांझी ने भरोसा जताया था कि इमामगंज सीट पर हम प्रत्याशी का जीत सुनिश्चित है। जीतन राम माझी ने बिहार में चार सीटों के उपचुनाव को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में हाल ही में कहा था, 'हर कोई उम्मीदवार उतारता है। बहुत सारे निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ते हैं। अब जनता के ऊपर है। जब पहलवान अखाड़े में आएंगे तभी तो पता चलता है कि कौन कैसा है। लेकिन विधानसभा उपचुनाव में इमामगंज सीट से हम पार्टी चुनाव जीतेगी। बेलागंज विधानसभा उपचुनाव में उलट होगा। यह सीट राजद से छिन जाएगी। वहां जदयू के लोग लड़ेंगे और हमारे एनडीए के जो भी उम्मीदवार होंगे, वो जीतेंगे।'
जीत का स्वाद चख चुके हैं प्रशांत किशोर
एक खास बात यह भी है कि प्रशांत किशोर बिना लड़े बिहार में एक बार जीत का स्वाद चख चुके हैं। जन सुराज अभियान के समर्थन से पिछले साल बिहार विधान परिषद की सारण शिक्षक सीट से निर्दलीय अफाक अहमद जीते थे। अफाक ने वहां दिग्गज शिक्षक नेता केदारनाथ पांडे के बेटे आनंद पुष्कर को हराया था। केदार पांडे के निधन के कारण ही उस सीट पर उपचुनाव हुआ था। बाद में उनके साथ एमएलसी सच्चिदानंद राय भी जुड़े थे लेकिन लोकसभा में पीके के मौन के कारण वापस बीजेपी का समर्थन करने लगे।
वोटर्स को साधने की बनानी होगी रणनीति
वहीं अगर तरारी और बेलांगज सीट की बात करें तो तरारी सीट भाकपा-माले के नेता सुदामा प्रसाद और बेलांगज सीट राजद नेता सुरेंद्र यादव के सांसद निर्वाचित होने के बाद खाली हुई थी। चुनावी रणनीतिकारों का यह मानना है कि पीके के लिए पहला इम्तिहान पास करना इतना भी आसान नहीं है। एनडीए और महागठबंधन के सामने पीके की नई सुराज पार्टी का एक सीट जीत पाना भी बड़ी बात होगी। अगर पीके की जन सुराज इस उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो निश्चित तौर से जन सुराज पर विरोधी पार्टियों के हमले तेज होंगे।
इस उपचुनाव की एक खास बात यह भी है कि ऐसा माना जाता है कि लगभग इन सभी चारों सीट पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में होते हैं। चुनावी रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर इस बात को अच्छी तरह समझते हैं और शायद यही वजह है कि वो भी मुस्लिम वोटर्स पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। रणनीतिकारों का मानना है कि यादव, मुस्लिम के अलावा अगर पीके रविदास वोटों को भी अपने पाले में कर लेते हैं तो उपचुनाव के नतीजे सबको चौंका भी सकते हैं।
तरारी विधानसभा सीट पर अति पिछड़ा वर्ग के वोट भी काफी अहम हैं। पीके की नजर इन वोटों पर भी है। ऐसा माना जाता है कि प्रशांत किशोर की रणनीति अति पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समुदाय को अपने साथ जोड़ने की है। कुल मिलाकर कहा जाए तो अगर मुस्लिम, यादव और अति पिछड़ा वोटर्स को साधने में पीके कामयाब हो जाते हैं तो निश्चित तौर से जन सुराज अपना दम दिखा पाने में कामयाब हो जाएगी और अपने विरोधियों को भी जोर का झटका देगी।