वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का निर्माण क्यों रूका, किसान किस बात पर अड़े
कैमूर जिले के पांच प्रखंडों चांद, चैनपुर, भगवानपुर, भभुआ एवं रामपुर के 93 मौजा के लगभग 52 किलोमीटर लंबी एक्सप्रेस-वे का निर्माण होना है। उक्त प्रखंडों के किसान अपनी मांग को लेकर चैनपुर के मसोई स्थित निर्माण कंपनी के बेस कैंप के पास बेमियादी धरना पर बैठे हुए हैं।
कैमूर में मुआवजा के पेच में वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य लटक गया है। इसका निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत कराया जाना है। एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि का मुआवजा किसानों को भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार ने करीब 115 करोड़ रुपए बहुत पहले ही आवंटित कर दिया है। लेकिन, जिले के किसान अधिग्रहित भूमि का मुआवजा बाजार मूल्य से चारगुना अधिक की मांग को लेकर किसान अड़े हुए हैं। जबकि जिला प्रशासन सरकार के नियमों व निर्देशों का अनुपालन करते हुए निर्धारित दर के तहत भूमि का मुआवजा देने की बात कह रहा है।
जबकि केंद्र सरकार ने रोहतास व औरंगाबाद में निर्माण कार्य के लिए पैकेज चार के लिए 1074 करोड़ व पैकेज पांच के लिए 922 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। कैमूर जिले के पांच प्रखंडों चांद, चैनपुर, भगवानपुर, भभुआ एवं रामपुर के 93 मौजा के लगभग 52 किलोमीटर लंबी एक्सप्रेस-वे का निर्माण होना है। उक्त प्रखंडों के किसान अपनी मांग को लेकर चैनपुर के मसोई स्थित निर्माण कंपनी के बेस कैंप के पास बेमियादी धरना पर बैठे हुए हैं।
मुआवजा को लेकर किसानों एवं प्रशासनिक अफसरों के बीच अभी तक बात नहीं बन सकी है। किसानों के बेमियादी धरना और समर्थन में किसान नेता राकेश टिकैत, बक्सर के राजद सांसद सुधाकर सिंह, सासाराम संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस सांसद मनोज कुमार, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर थे।
शिविर का कर रहे विरोध
इधर जिला प्रशासन द्वारा एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई भूमि का मुआवजा देने के लिए आयोजित किए जा रहे शिविर का आंदोलनकारी किसान विरोध कर रहे हैं। हालांकि जानकार बताते हैं कि यह शिविर किसानों को यह बताने के लिए किया जा रहा है कि मुआवजा प्राप्त करने के लिए कौन-कौन दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी, जिसे वह तैयार रखेंगे। हालांकि शिविर में कुछ किसान पहुंच भी रहे हैं, जिन्हें कागजात के बारे में जानकारी दी जा रही है।
उचित मुआवजा देकर निर्माण शुरू कराएं
किसान संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष विमलेश पांडेय ने कहा कि सरकार व जिला प्रशासन किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा देकर एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू कराए, उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन, जबतक अधिग्रहित भूमि का बाजार मूल्य के चारगुना अधिक मुआवजा नहीं मिलेगा, किसान एक्सप्रेस-वे निर्माण का कार्य प्रारंभ नहीं होने देंगे। हम किसानों के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन खेती ही है। अगर प्रशासन अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजा नहीं देगा तो हम किसान दाने-दाने के मोहताज हो जाएंगे।
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