पटना प्लान : नप के विस्तार के बाद भी जलजमाव की समस्या गंभीर
सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। की भोपतपुर पंचायत के भोपतपुर गांव में स्व गोपालजी पांडेय के पुत्र वीरेंद्र पांडेय के बरामदे में अचानक आग लग गई। इससे लाखों के समान जलकर राख हो गया। घटना लगभग गुरुवार की...

सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। नगर परिषद क्षेत्र का विस्तार होने के बाद भी जलजमाव की समस्या का बने रहना चिंता का विषय है। शहर में ड्रेनेज सिस्टम व सीवर पाइपलाइन नहीं होने से शहर के लोग जलजमाव की समस्या से जुझ रहे है। यह समस्या नप के पुराने वार्ड के साथ नए वार्डों में भी है। 2011 की जगनगणना के अनुसार, एक लाख 95 हजार की आबादी वाले सीवान नगर परिषद क्षेत्र में शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए सभी मुख्य नाला जर्जर होने के साथ ही कामयाब नहीं हैं। कचरा व गाद से भरे पड़े इन नालों की उड़ाही के बाद भी बरसात में पानी ओवरफ्लो होकर बहता है।
नगर परिषद के अनुसार शहरी क्षेत्र में 20 नालों की उड़ाही बरसात पूर्व कर ली जायेगी। इन्हीं नालों के जरिए शहर के विभिन्न वार्डों का पानी बहता है। हालांकि नप का नाला उड़ाही कराने का दावा पिछले दिनों 3 से 4 घंटे हुई मूसलाधार बारिश में पूरी तरह से फेल दिखा। लोगों का कहना है कि जबतक कच्चे व पुराने नालों की जगह आरसीसी नाला नहीं बनता, ड्रेनेज सिस्टम व सीवर पाइपलाइन नहीं बिछाया जाता, तबतक जलजमाव की समस्या खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। क्या कहते लोग फोटो संख्या - 8 कैप्शन - सेम्पी गुप्ता। जलजमाव से निपटने के लिए नप अलर्ट मोड में है। शहरी क्षेत्र में नालों की उड़ाही चल रही है, बरसात से पूर्व सभी नाली-नालों की उड़ाही का कार्य पूरा कर लिया जायेगा। शहरी क्षेत्र में जहां-जहां जलजमाव होता है, उन जगहों को चिन्हित कराते हुए निदान निकाला जाएगा, ताकि आमलोगों को बरसात में कोई परेशानी नहीं हो। जलजमाव वाले इलाके में राबिश व ईंट का दुकड़ा बिछाकर जलजमाव को खत्म किया जाता है। सेम्पी गुप्ता, मुख्य पार्षद नगर परिषद, सीवान। फोटो संख्या - 9 कैप्शन - अनुभूति श्रीवास्तव। नगर परिषद क्षेत्र में बरसात के दिनों में जलजमाव की समस्या नहीं हो इसके लिए प्राथमिकता के आधार पर सभी प्रमुख नालों की उड़ाही कराई जा रही है। नालों की उड़ाही बरसात से पूर्व पूरा कर लिया जाएगा। विभागीय स्तर पर 87 करोड़ रुपये की लागत से वाटर ट्रिटमेंट प्लांट लगाने की कार्ययोजना जल्द ही शुरू हो जायेगा। शहर के निचले इलाके में ज्यादातर जलजमाव होता है, इससे निपटने की तैयारी पुख्ता हो रही है। अनुभूति श्रीवास्तव, ईओ, नगर परिषद, सीवान। फोटो संख्या - 10 कैप्शन - उज्जवल तिवारी। नगर परिषद क्षेत्र में पड़ने वाले जलजमाव वाले इलाके का जायजा लिया जा रहा है। गत वर्ष जहां-जहां जलजमाव होता था, वहां पूर्व से तैयारी की जायेगी ताकि इस वर्ष लोगों को अधिक परेशानी नहीं झेलनी पड़े। वहीं जिन इलाकों में जलजमाव की संभावना बन सकती है, वहां पहले से ही जरूरत के हिसाब से रोड़ा-राबिस डालकर आवागमन की सुविधा बहाल की जाएगी। उड़ाही का कार्य युद्धस्तर पर रात्रि में किया जा रहा है। उज्जवल तिवारी, स्वच्छता पदाधिकारी, नप सीवान फोटो संख्या - 11 कैप्शन - डॉ. नेहा रानी। जलजमाव से चर्म रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। लगातार गीली त्वचा रहने से स्किन की नमी अधिक हो जाती है। इससे फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है। एक्ज़िमा व डर्मेटाइटिस भी हो सकती हैं। गंदे पानी में मौजूद अशुद्धियों से एलर्जी व रैशेज हो सकते हैं। इनसे बचाव के लिए जरूरी है पानी का ठहराव न होने दिया जाए। त्वचा हमेशा साफ व सूखा रखें। बचाव के लिए एंटी-फंगल पाउडर व नारियल तेल का प्रयोग करें। डॉ. नेहा रानी, चर्म रोग विशेषज्ञ फोटो संख्या - 12 कैप्शन - आनंद मोहन सिंह। शहर में जलजमाव की समस्या को दूर करने और नाली-नालों के गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए बुडको के स्तर पर व्यापक योजनाएं बनी है। जिन्हें जल्द ही मूर्त रूप दिया जाएगा। इसके तहत सीवरेज नेटवर्क प्लान, अमृत 2.0 और एसटीपी व आई एंड डी योजनाओं को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। तीनों प्रमुख योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति मिली है। आगे की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। आनंद मोहन सिंह, कार्यपालक अभियंता, बुडको फोटो संख्या - 13 कैप्शन - अभिमन्यु कुमार। हर साल की तरह इस बार भी नगर परिषद बरसात से पहले नालों की उड़ाही के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा कर रहा रहा है। कहीं भी ठीक से उड़ाही का कार्य नहीं हो रहा। पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश ने नप की नाला उड़ाही की सारी पोल खोलकर रख दी है। स्थिति यह है कि शहर के पुराने ही नहीं नए वार्डों में भी जलजमाव की समस्या विकराल हो गई है। शांति वट वृक्ष से डीएवी मोड़ तक झील बनकर रह जाता है। अभिमन्यु कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता फोटो संख्या - 22 कैप्शन - डॉ. सुधांशु शेखर त्रिपाठी। सीवान शहर में जलजमाव की समस्या का समाधान धरातल पर हो इसके लिए जनप्रतिनिधियों को भी आगे आने की जरूरत है। शहर की सुंदरता पर जलजमाव काले धब्बे के समान है। जलजमाव से हैजा, टाइफाइड, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, डायरिया व पेचिश जैसी बीमारी होती है। मच्छर के काटने से डेंगू, मलेरिया होने का डर बना रहता है। गंदा पानी जमा होने से मच्छर व मक्खियां बढ़ती हैं जो बीमारी को दावत देते फिरते हैं। डॉ. सुधांशु शेखर त्रिपाठी, प्राचार्य फोटो संख्या - 23 कैप्शन - पूनम देवी। जलजमाव के मामले में नप का विकास पूरी तरह फेल है। वैसे तो शहर में जलजमाव होने से हर कोई परेशान होता है, लेकिन सबसे अधिक परेशानी महिलाएं व युवतियों को होती है। घर से बाहर रहने पर अचानक से बारिश होती है तो महिलाओं के लिए अपने घर पहुंचना मुश्किल हो जाता है। जलजमाव होते ही रिक्शा, टोटो मिलना बंद हो जाता है। अब गंदा पानी पार कर घर जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचता। पूनम देवी, गृहिणी
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