शहरी 40 तो ग्रामीण क्षेत्र में 45 प्रतिशत तक बढ़ सकती है बिजली की दरें! पावर कारपोरेशन ने रखा नया प्रस्ताव
एक बार फिर बिजली उपभोक्ताओं की जेब का बोझ बढ़ाने की तैयारी बिजली विभाग कर रहा है। बिजली विभाग ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली दरों का नया प्रस्ताव तैयार किया है।
यूपी में एक बार फिर बिजली उपभोक्ताओं की जेब का बोझ बढ़ाने की तैयारी बिजली विभाग कर रहा है। बिजली विभाग ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली दरों का नया प्रस्ताव तैयार किया है। बिजली की नई दरें तय करने के लिए सुनवाई की तारीख घोषित होने के बाद पावर कॉरपोरेशन ने श्रेणीवार बिजली दरों में बढ़ोतरी का नया प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल किया है। शहरी इलाकों के घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 40% और ग्रमीण क्षेत्र में बिजली दरों में 45% तक के इजाफे का प्रस्ताव दाखिल किया गया है। यह पहला मौका है जब पावर कॉरपोरेशन ने अलग-अलग श्रेणियों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल किया है।
बीते दिनों पावर कॉरपोरेशन ने बिजली कंपनियों का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव दाखिल किया था, जिसमें आपूर्ति पर खर्च और राजस्व प्राप्ति के बाद 19,644 करोड़ रुपये का अंतर दिखाया गया था। कॉरपोरेशन ने इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली दरों में कम से कम 30 प्रतिशत इजाफे की बात कही थी। यह इजाफा ऊर्जा इतिहास में सबसे बड़े इजाफे का प्रस्ताव था। नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन के प्रस्ताव को स्वीकार करके उसे जनता में सार्वजनिक करके इसपर आपत्तियां मांगने की मंजूरी दे दी थी।
साथ ही यह भी तय कर दिया था कि वह अलग-अलग बिजली कंपनियों के दावों और उस पर आई आपत्तियों व सुझाव पर सात जुलाई से सुनवाई करेगा। सुनवाई की तारीखें तय होने के बाद पावर कॉरपोरेशन ने अब 30 प्रतिशत बढ़ोतरी के प्रस्ताव को ग्रामीण, शहरी, वाणिज्यिक और औद्योगिक श्रेणियों में बांटकर अलग-अलग दरों में इजाफे का प्रस्ताव दाखिल किया है। अगर आयोग इस श्रेणीवार इजाफे के प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है तो इसी मसौदे पर सुनवाई होगी।
इन श्रेणियों में बिजली दरों में इजाफे का प्रस्ताव |
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प्रस्तावित श्रेणियां | प्रस्तावित इजाफा |
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शहरी घरेलू 35% | 40% |
ग्रामीण घरेलू 40% | 45% |
वाणिज्यिक 20% | 25 % |
औद्योगिक 15% | 18% |
औसत 29% | 30% |
तब आयोग ने कर दिया था स्वीकार करने से इनकार
इसी तरह का एक मामला पहले भी नियामक आयोग में आ चुका है। तब आयोग के चेयरमैन देशदीपक वर्मा थे। एआरआर स्वीकार करने और जनता से आपत्तियां मांगने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पावर कॉरपोरेशन ने इजाफे का प्रस्ताव दाखिल किया था। उस वक्त पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन संजय अग्रवाल और एमडी एपी मिश्र थे। आयोग ने तब कॉरपोरेशन के उस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जब दरों पर सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो अब नया प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में देखना ये है कि क्या आयोग इस बार कॉरपोरेशन के प्रस्ताव को स्वीकार करेगा या पहले के दृष्टांत को आधार बनाकर खारिज करेगा।
ये हैं सुनवाई की तारीखें
डिस्कॉम | तारीख | स्थान |
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मध्यांचल | 7 जुलाई | लखनऊ |
केस्को | 9 जुलाई | कानपुर |
पूर्वांचल | 11 जुलाई | वाराणसी |
दक्षिणांचल | 15 जुलाई | आगरा |
एनपीसीएल | 16 जुलाई | ग्रेटर नोएडा |
पश्चिमांचल | 17 जुलाई | मेरठ |
नया कनेक्शन लेना भी हो सकता है महंगा
पावर कॉरपोरेशन ने कनेक्शन की दरें बढ़ाने का भी प्रस्ताव दाखिल किया है। इसके लिए कॉरपोरेशन ने कनेक्शन की नई दरों के लिए कॉस्ट डाटा बुक भी नियामक आयोग में दाखिल कर दी है। सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं की कनेक्शन दरों में औसतन 25-30% बढ़ोतरी प्रस्तावित दाखिल किया गया है। बिजली की नई दरों के साथ ही इस पर भी सुनवाई होगी।
निजी कंपनियों के दबाव में किया जा रहा ऐसा - उपभोक्ता परिषद
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस नए प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन विवाद खड़ा करने की नीयत से ऐसा कर रहा है। बिजली कंपनियों के एआरआर के आंकड़े समाचार पत्रों में प्रकाशित हो गए हैं। उपभोक्ता उसी पर आपत्ति भी दाखिल कर रहे हैं। ऐसे में इस नए मसौदे पर सुनवाई कैसे होगी? श्रेणीवार इजाफे का सबसे बड़ा बोझ ग्रामीण जनता पर लादने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि निजीकरण में दिलचस्पी रखने वाले सभी औद्योगिक समूह जिन शर्तों पर बिजली कंपनियां खरीदना चाहते हैं, उनमें सबसे पहली शर्त यही है कि कनेक्शन और बिजली दरों में इजाफा हो। बिजली कंपनियों की दरें कम से कम लगाई जाएं। पावर कॉरपोरेशन इसी में जुटा है। उपभोक्ताओं की उसे कोई फिक्र नहीं है। इससे भी बड़ा दुर्भाग्य इस बात का है कि कॉरपोरेशन की खराब मंशा में नियामक आयोग उसका साथ दे रहा है।