पत्नी-बेटी जिंदा जलती रहीं, नाती को सीने से लगा रोते रहे अशोक
समस्तीपुर में एक भीषण बस अग्निकांड ने चार साल के आदित्य की जिंदगी को बदल दिया। उसकी मां, नानी आग में जिंदा जल गईं, जबकि नाना ने उसे बचाने की कोशिश में जान पर खेला। तीन साल पहले उसके पिता ने आत्महत्या...

समस्तीपुर/मोहनलालगंज हिटी। भीषण अग्निकांड ने चार साल के आदित्य की दुनिया ही उजाड़ दी। तीन साल पहले उसके पिता ने आत्महत्या कर ली थी। तबसे मां सोनी, नानी लक्खी देवी और नाना अशोक महतो के साथ बिहार में समस्तीपुर के मधेपुर स्थित गमवारा हसनपुर में रह रहा था। बस में नानी और मां जिंदा जल गईं पर ढाल बने नाना ने उसकी जिंदगी बचा ली। अशोक महतो अपनी पत्नी और बेटी को आंखों के सामने जलते देख नाती को सीने से लगाकर फूट-फूटकर रोते रहे। अशोक महतो ने बताया कि वर्ष 2022 में दामाद पंकज ने आत्महत्या कर ली थी। उसके बाद से बेटी और नाती उनके साथ ही रह रहे थे।
वह भी बेगूसराय से पत्नी, बेटी और नाती के साथ दिल्ली जा रहे थे। वहीं, नौकरी करते हैं। बस में पीछे की सीट पर परिवार के साथ सो रहे थे। एकाएक आगे की सीटों पर बैठे लोग चीख पुकार करने लगे। देखते-देखते आग की लपटें निकलने लगीं। अंदर धुंआ भर रहा था। बाहर निकलने के लिए खिड़की में लगी लोहे के रॉड को तोड़ने का प्रयास किया। नहीं टूटने पर कई लोगों की मदद से उसे टेढ़ा करके ऊपर उठा दिया। धुएं के कारण आदित्य का दम घुट रहा था। पानी की एक बोतल मिली, उससे प्रहार करके कांच तोड़ दिया। पत्नी और बेटी अंदर फंसी थीं। सबसे पहले नाती को बचाने के लिए खिड़की से बाहर कूदे। नाती को सड़क पर बैठाने की कोशिश की तो वह लुढ़क गया। यह देखते ही सन्न रह गए। पास खड़े लोगों ने दौड़कर नाती के चेहरे पर पानी डाला तो उसकी आंखें खुल गईं। इसके बाद पीछे पलटे तो बस की आग और विकराल हो चुकी थी। आग की लपटों से घिरी पत्नी और बेटी चीख-पुकार कर रही थीं। आंखों के सामने वे जल रही थीं। अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे क्योंकि नाती एक बड़ी जिम्मेदारी थी। आंखों के सामने पत्नी और बेटी की सांसें थम गईं। किसी तरह खुद को समझाया। लोग ढाढस बंधाते रहे।
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