भीषण गर्मी में नहीं होगी बिजली की किल्लत, बिहार सरकार ने बनाया यह प्लान
कंपनी ने मार्च में ही आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी। उस याचिका में उपरोक्त इकाइयों के विलंब का हवाला देते हुए बाजार से और डीप पोर्टल से बिजली खरीदारी का अनुरोध किया गया था।

बिहार के लोगों को निर्बाध बिजली देने के लिए कंपनी ने खुले बाजार से बिजली खरीदने का निर्णय लिया है। बिजली कंपनी ने इस बाबत विनियामक आयोग के समक्ष एक याचिका दायर की थी। आयोग ने याचिका पर मंजूरी दे दी है। इसके तहत कंपनी सितम्बर तक जरूरत के अनुसार बाजार से बिजली की खरीदारी करेगी।
कंपनी अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष बिहार को चार नई यूनिटों से 1820 मेगावाट बिजली मिलनी है। इसमें नॉर्थ कर्णपुरा से 297 मेगावाट, बक्सर के चौसा की पहली इकाई से 561 मेगावाट और दूसरी इकाई से 561 मेगावाट, जबकि बाढ़ स्टेज एक की तीसरी इकाई से 401 मेगावाट बिजली मिलनी है।
इन इकाइयों को मई-जून में ही शुरू हो जाना था, लेकिन कतिपय कारणों से इन यूनिटों से विधिवत बिजली उत्पादन में समय लग सकता है। ऐसे में कंपनी ने डीप पोर्टल और खुले बाजार से बिजली की खरीद करने का निर्णय लिया है।
कंपनी ने मार्च में ही आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी। उस याचिका में उपरोक्त इकाइयों के विलंब का हवाला देते हुए बाजार से और डीप पोर्टल से बिजली खरीदारी का अनुरोध किया गया था। कंपनी ने अपनी याचिका में कहा था कि बिहार के लोगों को जरूरत के अनुसार बिजली देने के लिए बाजार से खरीद करनी होगी।
हालांकि डीप पोर्टल से बिजली खरीदने में कंपनी को जुलाई में 9.68 रुपए प्रति यूनिट, अगस्त में 9.84 रुपए प्रति यूनिट और सितम्बर में 9.79 रुपए यूनिट तक खर्च करने होंगे। यही नहीं, कभी-कभी तो अचानक ओपेन एक्सचेंज से बिजली खरीदने पर कंपनी को 11-12 रुपए यूनिट तक खर्च करना पड़ता है जो सामान्य दर से दोगुना से भी अधिक होता है।
इस वर्ष खपत नौ हजार मेगावाट तक पहुंचने की संभावना
लोगों को निर्बाध बिजली देने के लिए कंपनी पूर्व के वर्षोँ में भी बिजली की खरीदारी करती रही है और इस वर्ष भी यह सिलसिला जारी रहेगा। बिहार में अभी अधिकतम 8005 मेगावाट बिजली की खपत हो चुकी है। इस वर्ष इसके नौ हजार मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है। वैसे सामान्य दिनों में हर रोज सात हजार मेगावाट बिजली की खपत होती है।