Hindi Newsबिहार न्यूज़Problem in online application for Bihar Land Survey papers not uploading on website

जमीन सर्वे के ऑनलाइन आवेदन में छूट रहे पसीने, वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो रहे कागज

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे की प्रक्रिया ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी की जा रही है। मगर वेबसाइट स्लो होने की वजह से ऑनलाइन आवेदन में दिक्कत आ रही है। सीवान जिले में बीते तीन दिनों से लोग कागजात ऑनलाइन नहीं अपलोड हो पाने से परेशान हैं।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, सीवानFri, 13 Sep 2024 09:24 AM
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Bihar Land Survey: बिहार के ग्रामीण इलाकों में चल रही जमीन सर्वे की प्रक्रिया में भू-मालिकों यानी रैयतों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें किसानों द्वारा ऑनलाइन आवेदन जमा नहीं कर पाना भी शामिल है। बीते तीन दिनों से डीएलआरसी की वेबसाइट फेल हो रही है। इससे अपलोड किए जा रहे दस्तावेजों की रिसीविंग नहीं मिल पा रही है। समय सीमा नजदीक होने से चलते रैयतों की समस्याएं और बढ़ गई हैं। जमीन सर्वे के ऑफलाइन आवेदन के लिए बंदोबस्त कार्यालय पर किसानों की लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं। समस्या यह है कि वहां किसी भी तरह की रिसीविंग नहीं मिल रही है। वेबसाइट का सर्वर फेल होने से आवेदन करने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में किसान मजबूर एवं हताश हैं।

सीवान जिले के गुठनी में जमीन सर्वे को लेकर ऑनलाइन आवेदन के लिए साइबर दुकान पर लोगों की भीड़ उमड़ रही है। मगर डीएलआरएस की वेबसाइट पर कोई कागजात अपलोड ही नहीं हो पा रहा है। इससे रैयत काफी परेशान हैं। ऐसे में बंदोबस्त कार्यालय पर जाकर अमीन, कानूनगो व सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी से इसकी शिकायत कर रहे हैं। एसओ गौरव कुमार ने बताया की सर्वर फेल होने से इस तरह की दिक्कत हो रही है।

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दरौली व गुठनी में जमीन सर्वे के लिए लोग जहां कागजात तैयार करने में जुटे हैं। सबसे बड़ी समस्या जमाबंदी में त्रुटि, खाता या सर्वे नंबर का ना होना, नाम में गड़बड़ी, रकबा में बदलाव शामिल है। इसके लिए लोग परिमार्जन करने में लगे हैं। दरौली व गुठनी में इस महीने में करीब 350 से अधिक लोगों ने आवेदन किया है।

इसके अलावा जमीन सर्वे के दौरान रैयत कई तरह की परेशानियों से रोजाना जूझ रहे हैं। किसी की जमाबंदी ऑनलाइन नहीं चढ़ पाई है तो किसी की चढ़ गई है लेकिन उसमें गलतिया हैं। कई रैयतों ने बताया कि उनकी पुश्तैनी जमीन को अब तक ऑनलाइन नहीं किया गया है, जबकि यह काम 2018 तक हो जाना चाहिए था।

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समाजसेवी अरविंद तिवारी ने बताया कि रजिस्टर-2 के कई पेज गायब हैं। यहां तक कि मूल खातियान से भी छेड़छाड़ की गई है। इस बात के वे खुद भी भुगतभोगी हैं। दरअसल, सरकार की ओर से सभी अंचलों में जमाबंदी को डिजिटाइज्स किया जा चुका है। इसके बावजूद सैकड़ों रैयतों की ऑनलाइन जमाबंदी नहीं हो पाई है। कई रैयतों की जमीन का खाता, खैसरा, रकबा और नाम गलत है। इससे उनकी रसीद नहीं कट पा रही है। ऐसे में उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

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