चार साल पहले जिला हुआ मुक्त, अब भी बन रहा नक्सल थाना
मुजफ्फरपुर में नक्सल जिला फंड से बने छह थानों में से एक एसकेएमसीएच थाने पर नक्सल का बोर्ड लगाए जाने के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय डॉक्टर और छात्र इस नाम को हटाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि...

मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले में नक्सल जिला फंड से छह थानों का निर्माण चल रहा है। इनमें एसकेएमसीएच, कच्चीपक्की और गन्नीपुर में भवन बनकर तैयार है। चार साल पहले ही जिला नक्सलमुक्त हो चुका है। ऐसे में थाने पर नक्सल का बोर्ड लोगों में खौफ पैदा कर रहा है। इसलिए थाने पर लगाए नक्सल के बोर्ड का विरोध शुरू हो चुका है। एसकेएमसीएच थाना पर नक्सल थाने का बोर्ड देख गुरुवार को एसकेएमसीएच के डॉक्टर, एमबीबीएस छात्र-छात्राएं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने विरोध किया। सभी ने जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारियों से लेकर सरकार से भी नक्सल थाना नाम हटाने की मांग की है।
कई डॉक्टर व छात्रों ने बताया कि नक्सल थाना नाम से थाना बनाने से मेडिकल की बदनामी होगी, क्योंकि इस थाने का क्षेत्र केवल मेडिकल परिसर भर है। इससे बाहर का इलाका इसमें शामिल नहीं है। एसकेएमसीएच की अधीक्षक प्रो. डॉ. कुमारी विभा, उपाधीक्षक डॉ. सतीश कुमार सिंह समेत कई चिकित्सकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नक्सल थाना नामकरण होने से गलत संदेश जा रहा है। चिकित्सकों ने कहा कि शिक्षण संस्थान में मेडिकल के छात्र पढ़ाई करते हैं। यहां नक्सल का कोई लेना-देना नहीं है। भीखनपुर के मुखिया अनिल सहनी ने बताया कि पंचायत क्षेत्र में एसकेएमसीएच कैंपस भी है। पंचायत के लोग थाने का नाम सिर्फ एसकेएमसीएच थाना रखने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2008 में पास हुआ था प्रस्ताव : पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2008 में जिले में छह नक्सल थाने का प्रस्ताव पास हुआ था। इसमें कच्चीपक्की, गन्नीपुर, पारू के चक्की सोहागपुर, साहेबगंज के राजेपुर, एसकेएमसीएच, गरहां शामिल हैं। बयान : वर्षों पुराने प्रस्ताव के आधार पर ही अधिसूचना जारी हुई और इसी नाम से थाना भवन के निर्माण का फंड भी आवंटित हुआ है। अब निर्माण होने पर इसी नाम से बोर्ड भी लगाया गया है। लोगों के विरोध करने पर थाना के नाम से नक्सल हटाने का प्रस्ताव भेजा जाएगा। सुशील कुमार, एसएसपी
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