गरीब व लाचार लोगों को नहीं मिल रहा सरकारी एंबुलेंस का लाभ
मुंगेर में सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को निजी एंबुलेंस पर निर्भर होना पड़ रहा है। 102 पर डायल करने पर मरीजों को अक्सर यह बताया जाता है कि एंबुलेंस बाहर गई है। अस्पताल...

मुंगेर, निज प्रतिनिधि। सरकारी अस्पतालों को सरकार की ओर से आवंटित एंबुलेंस पर लिखा है, जीवंत बिहार, सपना हो साकार, लेकिन इस स्लोगन को सचमुच में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने गलत साबित कर दिया है। सरकार आमलोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिये सुविधाओं का लगातार विस्तार कर रही है, लेकिन विस्तारित सुविधाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है। मुंगेर सदर अस्पताल, ऊंची दुकान फीकी पकवान, वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। आमलोगों की बीमारी को ठीक करने वाले सदर अस्पताल खुद अनियमितता के शिकार है। सरकार की ओर से सदर अस्पताल को कई सुविधा संपन्न एंबुलेंस उपलब्ध कराया है, बावजूद सही रूप में गरीब व लाचार लोगों को सरकारी एंबुलेंस का लाभ नहीं मिल रहा है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एंबुलेंस के जीपीएस में छेड़-छाड़ के कारण 102 नंबर पर डॉयल करने पर यह आउट ॲफ रेंज बताता है। इस कारण से भी मरीजों को सरकारी एंबंलेंस का लाभ नहीं मिल पाता है। मजबूरी में मरीज निजी एंबुलेंस करने को मजबूर होते हैं। जीपीएस के साथ छेड़-छाड़ करने का कई बार मामला सामने आया है। जरूरतमंदों तक एंबुलेंस नहीं मिलने के मामले को डीएम अवनीश कुमार सिंह ने गंभीरता से लिया है। सोमवार की शाम उन्होंने सिविल सर्जन और अस्पताल प्रबंध को तलब किया है। आखिर एंबुलेंस रहते हुए प्राइवेट एंबुलेंस से क्यों जा रहे हैं रेफर मरीज।
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सदर अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में उपलब्ध है 27 एंबुलेंस व एक शव वाहन है उपलब्ध:
जिले में सदर अस्पताल में कुल छह एंबुलेंस है, जबकि अन्य रेफरल अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कुल 22 एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया गया है। लेकिन आम लोगों को यह एंबुलेंस आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा है। इस संबंध में कुछ मरीजों ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि एंबुलेंस के लिये 102 पर डायल करने पर यही कहा जाता है कि एंबुलेंस मरीजों को छोड़ने के लिये भागलपुर गया है। इतना ही नहीं अधिकारियों से भी आसानी से बात नहीं होती है। लिहाजा मरीजों के परिजन निजी एंबुलेंस करने को बाध्य हो जाते हैं, सामान्य मरीजों के परिजन एंबुलेंस का इंतजार करते थक जाते हैं और उन्हें एंबुलेंस नहीं मिल पाता है। कभी-कभी तो एबंुलेंस के इंतजार में गंभीर मरीजों की मौत भी हो जाती है।
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क्या कहते हैं मरीज के परिजन:
कुतलूपुर के पंकज कुमार सिंह ने कहा कि 102 पर डॉयल करने के बाद अक्सर लाइन व्यस्त रहता है। अगर बात हो भी जाती है, तो अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिये एंबुलेंस पाने के लिये जानकारी मांगने के नाम पर काफी समय बर्बाद कर दिया जाता है। और अंत में यह कह दिया जाता है कि एंबुलेंस रेफर मरीजों को पहुंचाने के लिये पटना गया है। जबकि ऐसा कभी नहीं हुआ होगा कि एक ही दिन कई मरीजों को बाहर रेफर किया जाता होगा। तो फिर अन्य मरीज कहा चला जाता है। वहीं नौवागढ़ी के विरेन्द्र कुमार ने कहा कि जब एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ती है, तो किस माध्यम से निजी एंबुलेंस वालों को पता चल जाता है कि किस पेशेंट को एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ गई है। पता चलने पर एक साथ अस्पताल के बाहर खड़े एंबुलेंस के ड्राईवर मरीज के पास पहुंचकर भावमोल करने लगते हैं। सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं रहने पर मरीज मजबूरी में निजी एंबुलेंस करने को मजबूर होते हैं।
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कई वर्षों से चल रहा एंबुलेंस के नाम पर दलालों का कारोबार:
नाम नहीं बताने की शर्त पर कुछ मरीजों के परिजनों ने बताया कि सदर अस्पताल में एंबुलेंस के नाम पर कई वर्षों से दलाली का कारोबार फल-फूल रहा है। इसमें अस्पताल प्रबंध का भी हाथ है। बताया गया कि एंबुलेंस के जरूरतमदों को सरकारी एंबुलेंस प्राप्त करने वालों को इतना अधिक परेशान किया जाता है कि वे निजी एंबुलेंस करने को विवश हो जाते हैं। निजी एंबुलेंस संचालक और अस्पताल के एंबुलेंस विभाग के इस साजिश में लाचार एवं नि:सहाय मरीजों के परिजनों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बावजूद अस्पताल प्रबंधन इसं संबंध में कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, इस पर भी कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पर इन सवालों से अस्पताल प्रबंधन को काई लेना देना नहीं है।
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बोले अस्पताल प्रबंधक:
सदर अस्पताल में कुछ छह एंबुलेंस उपलब्ध है। एंबुलेंस प्राप्त करने के लिये 102 नंबर पर डायल करना पड़ता है। अगर 102 नंबर पर डायल करने पर बात नहीं होती है तो डीएस व अस्पताल प्रबंधक के अनुमोदन पर एंबुलेंस मिलता है। यहां सभी जरूरतमंद मरीजों को रेफर होने पर एंबुलेंस का लाभ दिया जाता है। सदर अस्पताल में निजी एंबुलेंस का काई चर्चा ही नहीं है। एंबुलेंस के नाम पर किसी भी प्रकार की कोई दलाली नहीं होती है। दलाली संबंधित बातें पूरी तरह से बेबुनियाद है।
तौसिफ हसनैन, प्रबंधक सदर अस्पताल मुंगेर।
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सदर अस्पताल को निजी एंबुलेंस से कोई लेना देना नहीं है। विशेष परिस्थितियों में जब उपलब्ध एंबुलेंस मरीजों को लेकर बाह रहता है तो वैसी परिस्थितियों में मरीज के परिजन निजी एंबुलेंस मंगवाते होंगे। 102 पर डायल कर जरूरतमंद मरीजों के परिजन एंबुलेंस मंगवा सकते हैं। अगर इसमें कोई परेशानी होती है तो हमें या अन्य संबंधित अधिकारी से संपर्क कर एंबुलेंस प्राप्त कर सकते हैं। दलाली व अन्य बातें पूरी तरह से अफवाह है।
बी के सिन्हा, सिविल सर्जन, मुंगेर।
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