‘बचाओ-बचाओ’ चीख रहे थे, बिहार में यहां कैसे जिंदा जल गए मामा-भांजी; भयानक हादसा
- थानेदार ने बताया कि जब अग्निशमन के लोग आग बुझाने आए तो कमरे का मेन गेट नहीं खुल रहा था। काफी मशक्कत से बाहर से धक्का देकर खोला गया। गेट का इस तरह लॉक होना घटना को सशंकित बनाता है। एफएसएल जांच और पोस्टमार्टम से सब साफ हो पाएगा।
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बिहार में एक घर में आग लगने के बाद मामा-भांजी जिंदा जल गए। मामला मुजफ्फरपुर जिले का है। जिले के कांटी थाना क्षेत्र के पठानटोली गरम चौक मोहल्ले में मंगलवार शाम करीब 6.30 बजे घर में लगी आग में मामा-भांजी जिंदा जल गए। लोगों ने किसी तरह घर में फंसे पत्नी और बेटे को निकाला। कई घंटे के बाद दमकल ने आग पर काबू पाया। एफएसएल की टीम ने जांच के लिए घटनास्थल को सील कर दिया है।
डीएसपी(पश्चिम)अभिषेक आनंद ने बताया कि आग में जलकर मोतीपुर के बतरौल निवासी मिथिलेश पटेल (35) और उसकी पनसलवा निवासी भांजी शालू कुमारी (14) की मौत हो गई। मिथिलेश की पत्नी मीरा देवी (30) और उसके पुत्र मयंक कुमार (7) को बचाकर निकाला गया है। मिथिलेश परिवार के साथ वीरपुर निवासी जितेंद्र शाही के दो मंजले मकान की ऊपरी मंजिल पर किराए पर रहता था। वह कांटी में अमरदीप पेट्रोल पंप पर काम करता था।
पुत्र मयंक ने बताया कि शाम में मां चाय बना रही थी। थोड़ी दूरी पर पापा गैलन में पेट्रोल डाल रहे थे। इसी दौरान अचानक भभक के साथ आग पकड़ ली। पापा बाथरूम की ओर भागे। इधर, गैलन की आग तेज हो गई। शालू दीदी कमरे में थी। आग तेज हो गई तो पड़ोस में रहनेवाले सुमित भैया ने हमलोगों को खींचकर निकाला। शालू दीदी और पापा अंदर ही फंस गए। दोनों की जलकर मौत हो गई।
घटना के बाद मोहल्ले के सैकड़ों लोग घटनास्थल पर पहुंच गए। भीड़ के कारण गली जाम हो गई। इस कारण दमकल को भी पहुंचने में काफी दिक्कत हुई। तीन घंटे से अधिक की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। कांटी थानेदार सुधाकर पांडेय ने बताया कि मीरा और मयंक के स्थिर होने पर पूछताछ में आग लगने का सही कारण सामने आएगा।
थानेदार ने बताया कि जब अग्निशमन के लोग आग बुझाने आए तो कमरे का मेन गेट नहीं खुल रहा था। काफी मशक्कत से बाहर से धक्का देकर खोला गया। गेट का इस तरह लॉक होना घटना को सशंकित बनाता है। एफएसएल जांच और पोस्टमार्टम से सब साफ हो पाएगा।
एक दिन पहले ही मामा के घर आई थी शालू
मिथिलेश पटेल की भांजी शालू एक दिन पहले ही आई थी। बताया गया कि उसकी परीक्षा भी थी, इसलिए वह पनसलवा से आई थी। वह कमरे में थी, तभी बाहर आग फैली। चाय बना रही शालू किसी तरह गैस का रेगुलेटर बंद कर बाहर निकली, नहीं तो सिलिंडर ब्लास्ट होता तो दीवार और छत फट जाती। ऐसी स्थिति में आसपास के लोगों को भी क्षति पहुंचती। घटना की सूचना के बाद मकान मालिक जितेंद्र शाही भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि एक साल से मिथिलेश उनके घर में किराएदार था। बगल के बतरौल गांव का पूर्व परिचित था। कोई दिक्कत नहीं थी।
पंप पर काम करने के कारण बचाकर घर में गैलन में रखता था पेट्रोल
स्थानीय लोगों ने बताया कि मिथिलेश पेट्रोल पंप पर काम करता था, इसलिए थोड़ा-थोड़ा पेट्रोल लाकर घर में गैलन में जमा कर रखता था। गैलन भर जाने के बाद उसे बेचता था। यह उसकी ऊपरी कमाई थी। भीड़ में जुटे मोहल्ले के लोगों ने पति-पत्नी में झगड़े की भी बात बताई। हालांकि, मीरा और उसके पुत्र ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं था। इधर, घटना की सूचना मिलने के बाद पूर्व मंत्री अजीत कुमार, राजद नेता हैदर अली सहित कई प्रमुख लोग मौके पर पहुंचे।
मां-बेटे को नहीं खींचते तो दोनों भी जल जाते
आग की लपटों के बीच से मीरा और उसके सात वर्षीय बेटे को बचाकर लाने वाले मोहल्ले के युवक सुमित कुमार का कहना है कि आग काफी भड़की हुई थी, तब हम पहुंचे। जरा सी देर हो जाती तो दोनों को निकालना मुश्किल हो जाता। आग की लपटें काफी देर तक खिड़की से बाहर तक निकल रही थी। अंदर से बचाओ-बचाओ की आवाज आ रही थी। तब तक सीढ़ी के पास गेट तक मीरा और उसका पुत्र पहुंच चुका था। किसी तरह दोनों को खींचकर लपटों से निकाल कर बाहर लाया। दोनों को बचाकर लाने के साथ ही आग जब भड़की तब गेट बंद हो गया। शालू लपटों में घिर गई, वह नहीं निकल पाई।