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बेलागंज में राजद का 34 साल का साम्राज्य ध्वस्त, जेडीयू की मनोरमा से गढ़ नहीं बचा सका सुरेंद्र का बेटा

Manorma Devi Win In Belaganj: डॉ. सुरेंद्र यादव के सांसद बनने के बाद ही यह सीट खाली हुई थी जिसके बाद राजद ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत उनके बेटे को विधानसभा उपचुनाव का टिकट थमाया था।

Nishant Nandan लाइव हिन्दुस्तान, गयाSat, 23 Nov 2024 02:06 PM
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Manorma Devi Win In Belaganj: बिहार में चार सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम आ चुके हैं। इस उपचुनाव को राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। रिजल्ट के बाद एनडीए खेमे में खुशी की लहर है। इन चारों ही सीटों पर एनडीए गठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। गया जिले की बेलागंज विधानसभा पर जीत के साथ ही RJD का 34 सालों का साम्राज्य ध्वस्त हो गया है। दरअसल 1990 से यह सीट राजद के झोली में ही रही है। लेकिन इस बार इस सीट पर हुए उपचुनाव में मनोरमा देवी ने राजद को बड़ा झटका दिया है।

बेलागंज में मनोरमा देवी ने 21391 वोटों से जीत हासिल की है। विश्वनाथ सिंह को कुल 51934 वोट मिले जबकि मनोरमा देवी को 73334 वोट मिले। जन सुराज के प्रत्याशी मोहम्मद अमजद तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 17285 वोट मिले।

राजद के दिग्गज नेता डॉक्टर सुरेंद्र प्रसाद यादव इस सीट से सात बार विधायक रहे हैं। इस उपचुनाव में राजद ने सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव के कंधे पर इस सीट को जीताने की जिम्मेदारी दी थी। हालांकि, विश्वनाथ यादव नाकाम रहे। डॉ. सुरेंद्र यादव के सांसद बनने के बाद ही यह सीट खाली हुई थी जिसके बाद राजद ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत उनके बेटे को विधानसभा उपचुनाव का टिकट थमाया था। लेकिन जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी राजद की इस रणनीति का कांट ढूंढने में कामयाब रहीं।

एक दिलचस्प बात यह भी है कि इस सीट पर एमवाई का जातीय समीकरण काफी अहम माना जाता है। यादव जाति यहां निर्णायक भूमिका में रही है और इस समीकरण को साधने में राजद माहिर भी रही है। लेकिन अब राजद को आत्ममंथन करना पड़ेगा कि आखिर उसकी इस रणनीति में कहां चूक रह गई। मनोरमा देवी जिला पार्षद के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत विन्देश्वरी यादव की पत्नी हैं। मनोरमा देवी दो बार एमएलसी रह चुकी हैं।

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि परिवारवाद को तवज्जो देने की वजह से राजद कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। मुस्लिम वोटों में बिखराव होने की एक वजह यह भी हो सकता है। माना जा रहा है कि इसका फायदा जेडीयू की प्रत्याशी मनोरमा देवी को मिला है। इस सीट पर जन सुराज ने मोहम्मद अमजद को और असदुद्दीन ओवैसी ने जमीन अली खान को मैदान में उतार कर लड़ाई को दिलचस्प बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, तमाम कयासों को दरकिनार कर मनोरमा देवी ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया है।

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