करोड़ों की सरकारी जमीन बेच रहे भूमि माफिया, 48 साल में RCD के नाम नहीं हुआ म्यूटेशन
- बिहार के मुजफ्फरपुर में अहियापुर स्थित दादर के पास चकगाजी गांव में भू माफिया सरकार की करोड़ों की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री कर रहे हैं। पथ निर्माण विभाग ने जमीन को रोक सूची में डालने की मांग भी डीएम से की है।
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बिहार के मुजफ्फरपुर में अहियापुर स्थित दादर के पास चकगाजी गांव में भू माफिया सरकार की करोड़ों की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री कर रहे हैं। पथ निर्माण विभाग (आरसीडी) ने इसपर आपत्ति ही नहीं जतायी है, बल्कि मुशहरी सीओ की शिकायत करते हुए विभाग ने जमीन को रोक सूची में डालने की मांग भी डीएम से की है। सरकार की करोड़ों की जमीन की खरीद-बिक्री की स्वीकारोक्ति के बाद से हड़कंप मच गया है। हैरानी की बात है कि 48 साल बाद भी इन जमीनों की दाखिल खारिज विभाग के नाम पर नहीं हो सकी।
अहियापुर में दादर पुल के पास सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री का मामला सामने आया है। पथ निर्माण विभाग ने डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि वहां की सरकारी जमीन को सीओ रजिस्टर टू में दर्ज नहीं कर रहे हैं। इसके लिए विभाग ने उनसे दर्जनों बार पत्राचार किया है। सीओ की सुस्ती का फायदा उठा माफिया सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री कर रहे हैं। विभाग के कार्यपालक अभियंता ने जमीन बचाने के लिए उसे रोक सूची में शामिल करने का आग्रह किया है।
पत्र में कार्यपालक अभियंता ने बताया है कि चांदनी चौक-बखरी पथ में दूसरे और तीसरे किलोमीटर पर दादर पुल के पास पथ निर्माण विभाग (पथ प्रमंडल-2) की जमीन बेची जा रही है। बताया है कि मौजा चकगाजी में जमीन है। वर्ष 1966- 67 में जमीन का अधिग्रहण पथ निर्माण विभाग के नाम पर हुआ था। अर्जित जमीन का स्वामित्व पथ निर्माण विभाग के पास है, लेकिन उक्त जमीन रजिस्टर टू में पथ निर्माण विभाग के नाम से नहीं चढ़ाई गई है।
तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ने भी सौंपी थी सूची दादर के पास पथ निर्माण विभाग की जमीन की खरीद-बिक्री की शिकायत तत्कालीन कार्यपालक अभियंता अंजनी कुमार ने भी अपर समाहर्ता से की थी। तब विभाग ने उन खेसरा का जिक्र भी किया था, जिसकी खरीद बिक्री भू माफिया द्वारा की गई थी। कार्यपालक अभियंता ने उस जमीन का नक्शा सहित पूरी रिपोर्ट देते हुए तत्कालीन अपर समाहर्ता से कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद विभाग ने सार्वजनिक नोटिस जारी करते हुए उक्त जमीन की खरीद-बिक्री को अवैध घोषित किया और मुशहरी सीओ को जमीन पथ निर्माण विभाग के नाम पर ट्रांसफर करने का अनुरोध किया। लेकिन मुशहरी अंचल कार्यालय ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखायी और जमीन की खरीद बिक्री जारी रही।