प्रशांत किशोर के सत्याग्रह के आगे झुकी व्यवस्था, बंदे में है दम; बिना शर्त जमानत पर जन सुराज पार्टी गरजी
- जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर की बिना शर्त जमानत पर रिहाई के बाद उनकी पार्टी ने कहा है कि पीके के सत्याग्रह के आगे व्यवस्था झुक गई। पीके ने कहा है कि उनका अनशन जारी है और कल वो जगह के बारे में बताएंगे।
जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर पुलिस हिरासत में लगभग 15 घंटे बिताने के बाद बिना शर्त जमानत पर रिहा होने के बाद उनकी पार्टी ने कहा है कि प्रशांत किशोर के सत्याग्रह के आगे व्यवस्था झुक गई। जन सुराज पार्टी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक ट्वीट के जरिए कहा कि कोर्ट ने अनकंडीशनल बेल दिया है। पार्टी ने इसके साथ ही लिखा है- बंदे में है दम। याद दिला दें कि बंदे में था दम एक गीत है जो महात्मा गांधी के लिए लिखा गया था। प्रशांत किशोर ने जब दिन में शर्तों पर मिली जमानत लेने से मना कर दिया था तो उन्हें पुलिस बेउर जेल ले गई थी। कोर्ट से जब आदेश आया तो उसमें जमानत की शर्तें नहीं थी, उसके बाद उन्हें बेउर थाना ले जाकर निजी मुचलका भरवाकर छोड़ दिया गया।
बेउर ले जाने से पहले प्रशांत किशोर ने मीडिया से कहा था कि बिहार गांधी के सत्याग्रह की धरती है और यहां अगर सत्याग्रह करना गुनाह है तो यह गुनाह वो कई बार करेंगे। पटना कोर्ट ने प्रशांत को दोपहर में जब जमानत दी तो उन्हें अवैध तरीके से धरना-प्रदर्शन नहीं करने का बेल बॉन्ड भी भरने को कहा गया था। प्रशांत किशोर ने ऐसा करने से मना कर दिया था और कहा था कि इसके बदले वो जेल जाना कबूल करेंगे। प्रशांत किशोर ने साथ ही ऐलान किया था कि वो जेल के अंदर भी अनशन जारी रखेंगे। रिहाई के बाद प्रशांत किशोर ने कहा है कि उनका अनशन जारी है और वो कल (मंगलवार) को जगह के बारे में बताएंगे।
Prashant Kishor LIVE: बिना शर्त जमानत पर छूटे प्रशांत किशोर, अनशन जारी है, कल जगह बताएंगे
प्रशांत किशोर 2 जनवरी से गांधी मैदान में अनशन पर बैठे थे जहां जिला प्रशासन ने उन्हें बैठने की इजाजत नहीं दी थी। प्रशासन ने उन्हें नोटिस जारी कर अपना अनशन गर्दनीबाग ले जाने कहा था जो जगह सरकार ने ऐसे आंदोलनों के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद निर्धारित की है। प्रशांत ने इस आदेश को मानने से मना कर दिया था। इसके बाद सोमवार की अहले सुबह पुलिस ने प्रशांत को गिरफ्तार कर लिया था।
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प्रशांत किशोर पर पटना जिला प्रशासन ने बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान दो मुकदमे दर्ज किए थे। पहला केस 26 दिसंबर को मार्च के लिए हुआ था जिस दौरान प्रशांत किशोर के चले जाने के बाद परीक्षार्थियों पर लाठीचार्ज हुआ था।दूसरा केस गांधी मैदान में बिना इजाजत अनशन करने के लिए दर्ज किया गया था।