18 एवं 19 सितंबर को एसबीआई झाझा केवाईसी को लेकर लगाएगी विशेष काउंटर
18 एवं 19 सितंबर को एसबीआई झाझा केवाईसी को लेकर लगाएगी विशेष काउंटर 18 एवं 19 सितंबर को एसबीआई झाझा केवाईसी को लेकर लगाएगी विशेष काउंटर
18 एवं 19 सितंबर को एसबीआई झाझा केवाईसी को लेकर लगाएगी विशेष काउंटर 18 एवं 19 सितंबर को एसबीआई झाझा केवाईसी को लेकर लगाएगी विशेष काउंटर
झाझा, नगर संवाददाता
भारतीय स्टेट बैंक झाझा अपने ग्राहकों के लिए 18 एवं 19 सितंबर को 'केवाईसी' अर्थात 'नो योर कस्टमर' यानी 'अपने ग्राहक को जानें' विषय को लेकर तीन विशेष काउंटर लगाएगी। तीन काउंटर केवाईसी अपडेट करने का तथा दो काउंटर केवाईसी वेरीफाई करने का लगाया जाएगा। इस आशय की जानकारी देते हुए बैंक की झाझा शाखा के मख्य प्रबंधक डॉक्टर गौरांग कुमार सिंह ने बताया कि ई केवाईसी एनबीसी होने के बाद थोड़ी समस्या बढ़ी है। बैंक के सभी कर्मियों की ली गई बैठक में यह बात सामने आई कि बहुत से ग्राहकों के ई-केवाईसी अपडेट में परेशानी हो रही है।लोगों का जो आधार कार्ड हैं उसमें कुछ बदलाव होने के कारण अपडेट लेने में दिक्कत हो रही थी। इसी विषय को लेकर बैंक की ओर से निर्णय लिया गया कि उल्लेखित तिथियों को शाखा में तीन से चार काउंटर सिर्फ केवाईसी के लिए खुले रहेंगे। वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से काउंटर रहेगा। बैंक में इस कार्य को पूरा करने के लिए आने वाले ग्राहकों के लिए स्पेशलाइज्ड टीम के साथ यहां तक कि बैंक के आरबीओ के साथ ऑनलाइन होंगे और कोई परेशानी होने पर ऑन द स्पॉट इसका समाधान करने की पूरी कोशिश की जाएगी। उन्होंने अपने ग्राहकों से अपील की है कि 18 एवं 19 सितंबर को ई- केवाईसी कराने के लिए निश्चित रूप से शाखा में आएं और अपने खाते में हो रही इसको लेकर दिक्कत से निजात पाएं। बताया कि हमारे सभी कर्मी अधिकारी पूरे समर्पित भाव से ग्राहकों के ई केवाईसी अपडेट करने में सहयोग करेंगे। बताया कि इसके लिए आवश्यक कागजातों में आधार कार्ड पैन कार्ड वोटर आई कार्ड दो फोटो पासबुक लेकर आना है। यदि सीसी का खाता है तो वहां से पेपर निकलवा कर आएं ताकि उन्हें यहां भीड़ में परेशान होने की नौबत नहीं आएगी। सीसी से अपने सभी फोटो प्रति को अभी प्रमाणित करवा लें तो अच्छा रहेगा।
अर्धवार्षिक परीक्षा के लिए शिक्षकों को किया गया प्रति नियुक्त
झाझा, नगर संवाददाता
अर्धवार्षिक परीक्षा के लिए वीक्षण कार्य हेतु शिक्षक शिक्षिकाओं को प्रति नियुक्त किया गया है। जमुई के जिला शिक्षा पदाधिकारी के पत्रांक 1454 एसएसए दिनांक 6 सितंबर 2024के प्रसंग मैं झाझा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी इसको लेकर कार्यालय आदेश दिया है। यहां के सभी सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों में अध्यनरत वर्ग 1 से 8 तक के छात्र-छात्राओं का अर्धवार्षिक मूल्यांकन 2024 का आयोजन दिनांक 18 से 24 सितंबर तक किया जाना है। इस परीक्षा में प्रखंड स्तर पर एक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक को दूसरे विद्यालय में प्रतिनियुक्ति किए जाने के निर्देश ताकि परीक्षा स्वच्छ एवं कदाचार मुक्त वातावरण में संपन्न कराया जा सके के आलोक में शिक्षक शिक्षिकाओं की प्रतिनियुक्ति की गई है। प्रतिनियुक्ति सभी शिक्षकों को निर्देश दिया गया कि दिनांक 18 सितंबर को उसका समय प्रतिनियुक्ति स्थल पर पहुंच कर योगदान देना सुनिश्चित करें।
बाजार में बिक रहा है जंगल से काटे गए हरे पेड़ की लकड़ी से तैयार फर्नीचर
अवैध ढं़ग से संचालित आरा मील पर काटे गए हरे पेड़ों की होती है चिराई
धड़ल्ले से हो रहा है वनों की कटाई से घट रहा है वनों का क्षेत्रफल,जिम्मेदार बने हैं उदासीन
लक्ष्मीपुर, निज संवाददाता
बड़े बड़े जलाशयों, सड़कों के निर्माण या फिर सड़कों के चौड़ीकरण के मामले में वन विभाग के कड़े कानून का डंडा चलता है। जिससे विकास की रफ्तार पर रोक लगती है। जो कि सार्वजनिक हित के लिया जाता है। जिस पर रोक लगाते हुए विभाग बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का दलील देते हैं। लेकिन वन विभाग के जिम्मेदार जिन्हे वनों की सुरक्षा के लिए बहाल किया गया है। वे जिम्मेदार रक्षक के रूप में भक्षक का काम कर रहे हैं। जिसका नतीजा है कि वनों की अवैध कटाई धड़ल्ले से हो रहा। उदाहरण के तौर पर मलयपुर वन क्षेत्र के कोहबरवा वन परिसर क्षेत्र में देखा जा सकता है। जहां वनों से काटे गए हरे पेड़ की लकड़ी से फर्नीचर तैयार किया जाता है। तैयार फर्नीचर को मांग के अनुसार गंतव्य स्थान पर भेजा जाता है। अवैध रूप से काटे गए हरे पेड़ों की चिराई भी अवैध रूप से संचालित आरा मील पर किया जाता है। काटे गए पेड़ों के टहनियों को जलावन के रूप में बेचा जाता है। इसके लिए कारोबारी जगह जगह लकड़ी का अवैध रूप से लकड़ी का डिपो बना रखे हैं। लेकिन वन कर्मी जानकर भी अनजान बने हैं। सूत्र बताते हैं कि जंगल से काटे गए लकड़ी का परिवहन साइकिल, ठेला, टमटम और छोटे वाहनों से किया जाता है। जिसमें लकड़ी कारोबारी और वन कर्मियों के बीच गठजोड़ रहता है। जिसका नतीजा है कि कारोबारी धड़ल्ले से इस काम को अंजाम दे रहे हैं। इस तरह धड़ल्ले से हो रहे वनों की कटाई के कारण वन का क्षेत्रफल घर रहा है। जिसका दुष्परिणाम जलवायु परिवर्तन पर देखा जा रहा है। पूछे जाने पर कोहबरवा वन परिसर के फोरेस्टर कुमोद कुमार कार्रवाई की बात करते हैं। लेकिन वैसा कुछ दिखता नहीं है।
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